पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/५४

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(४) आवृत्तिवाचक---दुगुना, चौगुना, पंचगुना, छगुना !; इफहरा; दुहरा, तिहरा, चौहरा । (५) समूहवाचक–दान चारों, छ, सात, दस ।। (६) प्रत्येक-बाधक-प्रति, प्रत्येक, हर-एक, एक-एक । क्रमवाचक, आवृत्तिवाचक और समूहवाचक विशेपण पृणीक-बोधक विशेषणो से बनते हैं; जैसे- पूर्णक-धोधक क्रमवाचक आवृत्तिवाचक समूहवाचक एक-गुना एक अकेला दूसरा दुगुना दोनों । तीन । तीसरा तिराना तीन चौथा चौगुना चारी पॉच पाँचवाँ पंचगुना पॉचो छ । छगुना | छ १०२--अनिश्चित संख्या-वाचक विशेषणो से बहुधा बहुत्व का बोध होता है, जैसे, सब लड़के, कई फल, बहुत घर, अनेक दूकाने, आधे सिपाही, बाकी लोग । एक qणक-बधिक विशेषण है, पर इसका प्रयोग कोई' के समान बहुधा अनिश्चय के अर्थ में होता है, जैसे हमने एक बात सुनी है । एक ।' दिन ऐसा हुआ ! एक आदमी सड़क पर जा रहा था । जन्न 'एक' (विशेष्य के बिना) सर्वनाम के समान उपयोग में आता है तब उसका अर्थ बहुधा ‘कई’ होता है और वह अलग-अलग वाक्यों में आता है; जैसे, सभा में एक आते हैं और एक जाते हैं। एक के पास अनावश्यक धन है और एको के पास अनावश्यक धन नहीं है। एक के साथ 'सा' प्रत्यय जोडने से उसका अर्थ 'समान होता है, जैसे,दोनों का रूप एक-सा है। जब एक-से लोग मिलते हैं तब कार्य सफल होता है। एक-एक कभी कभी यह वह' के अर्थ में निश्चयवाचक सर्व- नाम के समान आता है, जैसे, उसके दो भाई हैं, एक डाक्टर है और