पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/५०

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( ४० ) जो' के साथ बहुधा फारसी का संबंध-वाचक सर्वनाम “कि' जोड़ दिया जाता है; जैसे, राम के साथ मोहन आता है जो कि उसका मित्र है। समय का वह प्रभाव है कि जो कभी नहीं टलता । इस 'कि' का प्रयोग अनावश्यक होने के कारण धीरे-धीरे घट रहा है। ‘जो' के साथ बहुधा अनिश्चयवाचक सर्वनाम “कोई और कुछ जोड़े जाते हैं; जैसे, जो कोई जो कुछ । इनका अर्थ ‘काई’ और ‘कुछ' । के समान है, जैसे, जो कोई आता है । वह मुखिया को प्रणाम करता है । “तुम जो कुछ चाहते हो मिल सकता है । । जब ज” का अर्थ “यदि होता है तब वह समुच्चय-बोधक होता है; जैसे, “जो तुम आओगे तो मैं चलूगा ।” जो तुम्हरे मन अति संदेहू तो किन जाइ परीक्षा लेहू ।' विविधता के अर्थ में जो की पुनरुक्ति होती है; जैसे, जो जो आए है उन्हें बिठाओ । जो जो चाहिए सो सब लाओ ।। संबंध-वाचक सर्वनाम के साथ वह” के अर्थ में कभी-कभी सो सर्वनाम आता है, पर इसका प्रचार कम है। कभी-कभी "जो' वा 'सो' (वह) का लोप होता है, जैसे; (जो) मो हुअा (जो) या सो जायगा ।” जो होना था (सो) हो गया ।” | जो हो” और “जो आज्ञा में दूसरे उपवाक्यों का लोप है । जो हो'='जो हो, सो हो । जो आज्ञा=जो आज्ञा हो सो मैं मानूगा । दरवाजे पर कौन खडा है ? उसके हाथ में क्या है ? ' वहाँ कौन आए थे ? धर्म क्या है ? ९६-इन वाक्यों मे कौन' और 'क्या' सर्वनाम अज्ञात प्राणी और पदार्थ के विषय में प्रश्न करने के लिये आये हैं, इसलिए इन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं । “कौन” और “क्या' के साधारण प्रयोगो मे यही अंतर है जो कोई” और “कुछ के प्रयोगों में है, जैसे, “कौन आया है ??’ कोई आया है। क्या गिरा ?' 'कुछ गिरा।