पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/५

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संशोधित संस्करण की भूमिका लगभग बीस बर्ष के उपयोग के पश्चात् इस पुस्तक के नये संस्करण की आवश्यकता प्रतीत हुई है । इस संस्करण में सबसे मुख्य बार उपयोगी परिवर्तन यह किया गया है कि विपय की विवेचना अधिकाश में “शिक्षापद्धति के अनुसार की गई है। इससे मूलविषय में कुछ कर्म हो गई है; पर साथ ही कुछ नये और अावश्यक विषय भी जोड़ दिये गये हैं । उदाहरणों की संख्या भी बढ़ा दी गई है और प्रायः प्रत्येक पाठ के अंत में अभ्यास दे दिये गए हैं । संक्षेप के विचार से कुछ बिंपय सारणी के रूप में लिखे गए हैं और एक स्थान में आकृति के द्वारा विपय समझाया गया है। यथासंभव टाइप की भिन्नता से मुख्य और गौण विषयों का अंतर सूचित करने का प्रयत्न किया गया है । आशा है। कि पूर्वोक्त परिवर्तन, परिवर्द्धन और संशोधन से यह नवीन संस्करण प्रवेशिका-परीक्षार्थियों को अधिक उपयोगी सिद्ध होगा । पुस्तक में छंद, रस और अलंकार का समावेश नहीं किया गया, क्योकि ये विषय व्याकरण से नहीं प्रत्युते साहित्य से संबंध रखते हैं जो एक अलग विषय है। जलपुर, अक्षय तृतीया सं० २००६ कामताप्रसाद् गुरु