पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/४९

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उपयोग अपना' के अर्थ में बहुधा विशेषण के समान होता है; जैसे निज का काम ( सर्वनाम ), निज देश ( विशेषण ) ।। लड़के के पास पुस्तक है जो उसे इनाम में मिली थी । जो सोता है। वह खोता है । जो चाहो सो लो ।। ६४-ऊपर लिखे वाक्य में, एक उपवाक्य मे, “ज सर्वनाम आया है और दूसरे उपवाक्य में एक सज्ञा अथवा सर्वनाम आया है जिसके साथ जा' का संबंध है। पहले वाक्य के दूसरे उपवाक्य में जो सर्वनाम पहले उपवाक्य की “पुस्तक” संज्ञा से संबंध रखता है; दूसरे वाक्य में पहले उपवाक्य के जो सर्वनाम का संबंध दुसरे उप- वाक्य के बइ” सर्वनाम से है और तीसरे वाक्य में पहले उपवाक्य के • जो सर्वनाम का संबंध दूसरे उपवाक्य के “सो” सर्वनाम से है। इस "जो सर्वनाम को संबंध-वाचक कहते हैं, क्योंकि वह अगले या पिछले उपवाक्य में आकर दूसरे उपवाक्य की संज्ञा या सर्वनाम से संबंध रखता है और दोनों उपवाक्यो को ( समुच्चय बोधक के समान ) मिलाता हैं। संबंघ-वाचक सर्वनाम एक ही है, और वह प्राणी पदार्थ का धर्म का बोध कराता है। इसका संबंधी शब्द नित्य-संबंधी कहलाता है। ६५-संबंध-वाचक सर्वनाम जिस संज्ञा से संबध रखता है वह बहुधा उसके साथ आती है जिससे संबंध वाचक सर्वनाम का उपयोग विक्षेषण के समान होता है, जैसे, जो बात होनी थी, वह हो गई। जो मनुध्य सत्य बोलता है वह विश्वास के योग्य होता है । "जो' का उपयोग आदर और बहुत्व के लिए भी होता है; जैसे, जो बड़े हैं वह सब कुछ करने को तैयार हो जाते हैं । राम का विवाह सीता से हुआ था जो जनक पुत्री थी । कभी-कभी “जो एक वाक्य के बदले आता है, जैसे, उसने अपने | - भाई को घर से निकाल दिया जो बहुत अनुचित हुआ । मनुष्य को सत्य • बोलना चाहिए जिससे उसका विश्वास हो ।