( ३८ ) अनिश्चय में निश्चय और भिन्नता बताने के लिये क्रमशः *कुछ न कुछ कुछ का कुछ वाक्यांश आते हैं, जैसे हम कुछ न करेगे । तुमने कुछ का कुछ समझ लिया । में आप वहाँ गया था । तुम आप वहाँ जा सकते हो । . लड़का अापका काम करेगा । मुनि आप मुझसे मिले थे। ९२-पूर्वोक्त वाक्यों से पहले आई हुई संज्ञा वा सर्वनाम की चर्चा करने के लिये उसी वाक्य में अप’’ सर्वनाम आया है। पहले वाक्य में 'आप सर्वनाम की चर्चा के लिये आया है, दूसरे वाक्य में
- तुम' सुर्वनाम की; तसरे वाक्य में लड़का संज्ञा की ओर चौथे वाक्य
में मुनि' संज्ञा को चर्चा के लिये आया है। वाक्य मे पहले आई हुई संत्रा व सर्वनाम की चर्चा के लिये जो सर्वनाम आता है उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं । ऊपर के वाक्यो में आप निजवाचक सर्वनाम है। सब सर्वनाम आदर सूचक “आप” से अर्थ और प्रयोग में भिन्न है। अदर-सूचक ‘ाप” केवल मध्यम और अन्य पुरुष में आता है। परन्नु निजवाचक “आप' का प्रयोग संज्ञा या दूसरे सर्वनाम के कारण तीन पुरुष में होता है । अदर सूचक “आप” वाक्य में अकेला आता है; पर निजवाचक अप संज्ञा या दूसरे सर्वनाम के संबंध से आता ४; ने अप आइए । मै आप जाऊँगः ।। ६३---निजाचक अप' के साथ ही जोड़ने से उनका प्रयोग या-वि•ण के समान होता है, जैसे, मै आप ही जाऊँगा | वह आप देगा वाल आप ही उगती है।
- प । ॐ अर्थ में कभी-कभी खुद, स्वतः वा स्वयं का उपयोग
4: जाइ है और ये शब्द क्रिया-विशेषण के समान आते हैं, जैसे, मैं ३ इद उसके पास जाऊँगा वे स्वयं मुझसे मिलेंगे । राजा स्वतः महल 1, }
- नि ३ इद एक प्रकार का निजवाचक सर्वनाम है; पर इसका