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| ( ३७ ) | है; इसलिये इसे आदर-सूचक सर्वनाम कहते हैं मध्यम पुरुष में यह

  • तुम' के बदले आता है और अन्य पुरुप में ये" या "वे के

बदले । “आप” का उपयोग “ये” के बदले बहुधा बोलने ही में होता है और इसके लिए उपस्थित मनुष्य की ओर हाथ बढ़ाया जाता है ।। ।। ९०-वह" के बदले कभी-कभी, सो आता है; जैसे जो चाहो सो ( वह ) ले लो । जो आया है सो (वह) जायगा ।। द्वार पर कोई खड़ा है। मेरे घर कोई आए हैं। पानी में कुछ है। मेरे मन में कुछ नहीं है ।। ९१-“कोई” और “कुछ ऐसे सर्वनाम हैं जो किसी निश्चित प्राणी या पदार्थ के बदले में नहीं आते अनिश्चय-वाचक सर्वनाम कहते हैं । कोई मनुष्य या बड़े प्राणी के लिए और कुछ पदार्थ या धर्म के लिए आता है। कोई से आदर और बहुत्व का भी बोध होता है। पिछले अर्थ में कोई बहुधा दोहराया जाता है जैसे, कोई कोई मूर्तिपूजा नहीं करते । कोई-कोई पुनर्जन्म को मानते हैं। ' कोई के साथ सुब”, “हर, और दूसरा आदि विशेषण मिलकर आते हैं, जैसे सब कोई” “हर कोई और कोई” “कोई और कोई दूसरा” । अधिक अनिश्चय में ‘‘कोई” के साथ जब “आ” । प्रत्यय जोड़ा जाता है, उस समय वह बहुधा प्राणी, पदार्थ और धर्म, तीनों के लिये आता है; जैसे इन नौकरो मे कोई सा मेरा काम कर सकता है। इन कपड़ों में से मैं कोई सा ले लूंगा । इन कारणों में कोई सा ठीक होगा। अनिश्चय में कुछ निश्चय प्रकट करने के लिये कोई न कोई,' । वाक्यांश* आता है, जैसे कोई यह काम करेगा । | कुछ के साथ बहुधा **सन, “बहुत”, “और आदि विशेषण आते हैं; जैसे, सब कुछ और कुछ’ ।, | * परस्पर संबंध रखनेवाले दो वा अधिक शब्दो को, जिनसे पूरा विचार प्रकट नही होता, वाक्याश कहते है । [ अं० ३६२]