पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/४३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( ३३ )

साथ कर्ता से संबंध रखनेवाली कोई संज्ञा वा विशेषण लगाना पड़ता है जिसे उद्देश्यपूर्ति कहते हैं । इस प्रकार की क्रियाओं को अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ कहते हैं । ऊपर के पहले वाक्य मे “है” क्रिया की पूर्ति **विद्यार्थी संज्ञा है; और दूसरे वाक्य मे “बनेगा” क्रिया की पूर्ति लेखक संज्ञा है, और तीसरे वाक्य में निकला' क्रिया की पूर्ति “आलसी विशेषण है । चौथे वाक्य में **कहलाते थे अपूर्ण अकर्मक क्रिया की पूर्ति धर्मराज' संज्ञा है ।। राम श्याम को भाई मानता है। हम लड़की को , चतुर समझते | हैं। राजा ने ब्राह्मण को मंत्री बनाया । नौकर काम पूरा करेगा। ८४-मानना, समझना, बनाना, करना आदि ऐसी सकर्मक क्रियाएँ हैं जिनका अर्थ अकेले कर्म से पूरा नहीं होता । इन क्रियाओं का अर्थ पूरा करने के लिये इनके साथ कर्म से संबंध रखनेवाली संज्ञा या विशेषण लगाना पड़ता है जिसे कर्म पूर्ति कहते हैं। इस प्रकार की क्रियाएँ अपूर्ण सकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं। ऊपर के पहले वाक्य में मानता है "अपूर्ण सकर्मक क्रिया की पूर्ति "भाई संज्ञा है और कर्म में समझते हैं” की पूर्ति चतुर विशेषण है। तीसरे वाक्य ‘मंत्री संज्ञा कर्मपूर्ति है और चौथे वाक्य मे पूरा विशेषण कर्म- पूर्ति है। ८५-किसी किसी अकर्मक और किसी कसी सकर्मक क्रिया के साथ उसी क्रिया से बनी हुई भाववाचक संज्ञा कर्म होकर आती है, जैसे सिपाही कई.लड़ाइयाँ लड़ा। लड़की कई खेल खेलता है। पक्षी । अनोखी बोली बोलते हैं। ऐसी क्रियाओं को सजातीय क्रियाएँ और उनके कर्मों को सजातीय कर्म कहते हैं !

अभ्यास १-निम्नलिखित वाक्य मे क्रियाओं भेद बताओ-- नौकर कोठा झाड़ता है। लड़की सड़क पर खेलती है । गुरु ने शिष्य -