पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/४२

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| ( ३२ ) ८१---ऊपर के वाक्यो में “दिया, 'दिखाता है', 'सुनाएगी। और पिलाता था” सकर्मक क्रियाएँ हैं जिनके कर्म क्रमशः 'फल', 'चित्र', 'कविता और पानी हैं। इनके सिवा प्रत्येक क्रिया का एक-एक कर्म और है जिसपर उस क्रिया का फल पड़ता है। *दिया क्रिया का दूसरा कर्म **भाई को दिखाता है क्रिया का दूसरा कर्म “पुत्रको, “सुनाएगा' क्रिया का दूसरा कर्म माँ को और पिलाता था” क्रिया का दूसरा कम *गाय को है । ऐसी क्रियाओं को जिनके साथ दो कर्म आते हैं द्विकर्मक क्रियाएँ कहते हैं। दो कर्मों में से एक क्रिया का अर्थ पूरा करने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है और किसी पदार्थ का बोध कराता है। इस कर्म को मुख्य-कर्म कहते हैं । दूसरा कर्म किसी प्राणी का बोध कराता है और गोण-कर्म कहलाता है। गौण कर्म के साथ सदैव को चिह्न रहता है। | अकर्मक सकर्मक मेरा हाथ खुजलाता है । । मै अपना हाथ खुजलाता हूँ । लड़की पानी भरती है। कुओं बरसात में भरता है । उसका मन ललचाता है। वह मुझको ललचाता है ।। ८२-कुछ क्रियाएँ अपने अर्थ के अनुसार कभी अकर्मक और कभी सकर्मक होती हैं। ऐसी क्रिया को उद्य-विवाद क्रियाए” कहते हैं । मोहन विद्यार्थी है । सोहन लेखक बनेगा । लड़का आलसी निकला । युधिष्ठिर धर्मराज कहलाते थे । ८३-ऊपर के वाक्यों में है. बनेगा, निकला और कह- लाते थे' ऐसी अकर्मक क्रियाएँ हैं जिनका अर्थ कभी कभी अकेले कत ( वा उद्देश्य ) से पूरा नही होता । इसका अर्थ पूरा करने के लिये इनके x-क्रिया के द्वारा जिसके विषय में विधान किया जाता है उसे सूचित करने- वाला शब्द उद्देश्य कहलाता है।