पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२७

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( १७ ) औ अ वा आ के पीछे ए वा ऐ रहे तो दोनों मिलकर ऐ और ओ वा । वे तो औं होता है । यह संधि वृद्धि संधि कहलाती है। । ४-यण = - =- उदाहरण संधि | नियम अति + अल्प = अत्यल्प । इ + अ = यु। इ वा ई के पीछे कोई अति + आचार=अत्याचार इ-+ आ = या भिन्न स्वर आवे तो प्रति+उपकार = प्रत्युपकार | इ +उ = यु इ वा ई के बदले ये नि +ऊन = न्यून | इ + ऊ = यू होता है जो अगले ‘प्रति+एक = प्रत्येक इ + ए = थे । स्वर में मिल जाता है। जाति + ऐक्य = जात्यैक्य | इ + ऐ.= यै | दधि + ओदन = दध्योदन | इ + ओ = यो मति + औदार्य = मस्यौदार्य | इ + = यौ । | सु + अल्प = स्वल्प। उ + अ = व् | यदि उ वा ऊ के परे सु + आगत = स्वागत। उ + आत्रा , भिन्न स्वर रहे तो उ। अनु+इति = अन्विति ऊ+इ=वि वा ऊ के बदले व होता अनु-एपण = अन्वेषण उ-4-ए = वे है जो अगले स्वर में गुरु + औदार्य = गुदायें । उ + औ = वौ ! मिल जाता है । मातृ + अर्थ = मात्रार्थ | ऋ-+ अ = र यदि सृवा ऋ के आगे पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा ' ऋ+ आ == रा । कोई भिन्न स्वर हो तो ऋ वा ऋ के बदले र आता है जो अगले स्वर में मिल जाता है।

  • , ह्रस्व वा दीर्घ ई, उ वा ऋ के परे कोई भिन्न स्वर रहे तो इ वा ई

के बदले य, उ, वा ऊ के बदले ३ और ऋ वा ऋ के बदले र होता है। और ये व्यंजनः अगले स्वरों में मिल जाते हैं ।