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( १६ ) २-गुण पास संधि | --


उदाहरण नियम सुर + इंद्र=सुरेंद्र अ + ईए अ वा आ के परे इ वा सुर + ईश=सुरेश अ+इ=ए ई हो तो दोनों के बदले महा -- इंद्र=महेद्र अ +इ=ए । ए होता है । | महा-ईश=महेश अ +इ=ए। पर + उपकार-=परोपकार अ+उ=ओ || अ वा आ के परे उ वा समुद्र + उर्मि=समुद्रोमि अ + ऊ=ओ | ऊ रहे तो दोनों मिल- गंगा + उदक=गंगोदक अ + उ=ओ ! कर ओ होते हैं । गंगा + उर्मि=गंगोमि

  • अ +ऊ=ओ

सप्त + ऋषि=सप्तर्षि अ + ऋ=अर् | यदि अ वा आ के परे महा + ऋषि=महर्षि अ-+ऋ=अर् । ऋ वो ऋ रहे तो दोनोके | स्थान में अर् होता है । अ वा आ के पश्चात् इ बा ई आवे तो दोनों मिलकर, ए, उ वा ऊ आवे तो ओ और ऋ आवे तो अर होता है । इस संधि का नाम गुणसधि है ।। | ३-वृद्धि मत-+-एकता=मतैकता अ-+- ए=ऐ । अ वा आ के पीछे ए । मत+ ऐक्य=मतैक्य अ+ऐ=ऐ । बा ऐ आवे तो दोनों । सदा+एव=सदैव आ -- ए=ऐ । के बदले ऐ होता है ।। महा+ऐश्वर्य=महैश्वर्य अ + ऐ=ऐ जल 4 व=जलौघ अ +ओ=औ | अ वा आ के पश्चात् महा+ओपधि=महौषधि -+ओ=औ | ओ वा परम -+ औषध=परमौषध । औं रहे तो अ + औ=औ | दोनो के स्थान में औ | महा-औदार्य=महौदार्य | आ+औ=औ | आता है । -- - ==