पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२५

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( १५ )

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( १५ ) | नि + आशा = निराशा | दुः+उपयोग = दुरुपयोग | (: + अ = रा (३+उ = रु ) | निः + फल == निष्फल प्रायः-+चिचप्रायश्चित्त : (:+फ = इफ ) (+ चि=श्चि ) ४६---उपर के उदाहरण में विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन मिले हैं। और उनके स्थान में भिन्न अक्षर आया है । विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेले को विसर्ग संधि कहते हैं । स्वर-संधि १--विसर्ग उदाहरण |. संधि , नियम राम + अवतार---रामवतार ( अ- अ=आ । अकार वा कार के राम धार= रामाधार | अ + = | परे अकार वा आकार माया + अधीनमायाधीन भी - अ= } हो तो उनके स्थान में माया + आचरण=मायाचरण अ + = ] कार होता है ।, गिरि + इंद्र=गिरींद्र इ वा ई के परे इ वा गिरि + ईश=गिरीश इ+ ईई ई रहे तो दोनो के स्थान । । मही+इंद्र=महींद्र में ई होता है। | मही + ईश=महीश। भानु + उदय=भानूदय उ+ उ=ॐ | | उ वा ऊ के पश्चात् लघु + ऊम्मि=लघूमिं । उऊऊ । उ वा ऊ आवे तो |वधू +उत्सव-वधूत्सव ॐ + उऊ | दोनों मिलकर ऊ हो * भु+ऊर्श्वभूव ऊऊऊ' ) जाते हैं । - पितृ+ऋण= पतृण । ऋ + ऋ == ] ऋ वाटू के पश्चात् ऋ वा || वा पितृण । ऋ वा सृ' ऋ आवे तो उनके स्थानमें, मातृ + ऋण=मातृण । ऋ वाऋ होता है। हिंदी में " वा मातृण । ऐसे शब्द कम आते हैं। सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वरो के मिलने से उनके स्थान में सवर्ण दीर्घ " स्वर होता है । ऐसी संधि को दीर्घ कहते हैं। + hi + hy he chrom + i kni +