पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२४८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( २३६ )

( २३६ ) (४) प्रश्न चिह्न । ४०७८-~यह चिह्न प्रश्नवाचक, वाक्य के अंत में लगाया जाता है, जैसे, क्या यह बैंक तुम्हारा ही है। दरवाजे पर कौन खड़ा है ? यह ऐसा क्या कहता था कि हम वहाँ न जायेंगे ? | ( क ) प्रश्न का चिह्न ऐसे वाक्यों में नहीं लगाया जाता जिमसे प्रश्न आज्ञा के रूप में हो, जैसे, हिंदुस्तान की राजधानी बताओ । राम- चंद्रजी की कहानी लिखो । ( ख ) जिन वाक्यों से प्रश्नवाचक शब्दों का अर्थ संबंधवाचक शब्दों का सा होता है, उनमें प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जाता है, जैसे, आपने क्या कहा, सो मैने नहीं सुना है वह नहीं जानता कि मैं क्या चाहता हूँ। नव- युवक बहुधा यह नहीं जानते कि कोई बात कब और कहाँ कहनी चाहिये । (५) आश्चर्य चिह्न ४०८---यह चिह्न विस्मयादिबोधक अव्ययों और मनोविकारसूचक शब्द, वाक्यांशों तथा वाक्यो के अंत में लगाया जाता है; जैसे, वह ! उसने तो मुझे अच्छा धोखा दिया ! राम-राम ! उस लड़के ने दीन पञ्ची को मार डाला ! | ( क ) तीव्र मनोविकार-सूचक संबोधन-पढों के अंत में भी आश्चर्य चिह्न आता है, जैसे, निश्चय दया-दृष्टि से माधव ! मेरी ओर निहारोगे । भगवान ! भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती । ( ख } मनोविकार सूचित करने में यदि प्रश्नवाचक शब्द आवे तो। भी आश्चर्य चिह्न लगाया जाता है, जैसे, क्यो री ! क्या तु ऑखो से अंधी है ! क्या इतनी छोटी बात आपकी समझ में नहीं आती ! (६) निर्देशक (डैश ) । ४०६,इस चिह्न का प्रयोग नीचे लिखे स्थानों में होता है-- ( क ) समानधिकरण शब्दों, वाक्यांशो अथवा वाक्यो के बीच में जैसे, दुनिया में नयापन-नूतनत्व ऐसी चीज नहीं जो गली गली सारी-