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| ( क ) जब संयुक्तवाक्यों के मुख्य उपवाक्य में परस्पर विशेष संबंध नहीं रहता, तब वे अर्द्ध विराम के द्वारा अलग किए जाते हैं, जैसे उसने अपने मित्र को बचाने के लिए अनेक उपाय किए; परंतु वे सब निष्फले हुए। उलझे हुए रेशों में पत्तियो के टुकड़े और धूल चिपकी रहती है; इसलिए रूई को धुनने के पूर्व उसका कूडा करकट साफ किया जाता है । ( ख ) उन पूरे वाक्यो के बीच में जो विकल्प से अंकित समुच्चय- बोधक के द्वारा जोड़े जाते हैं, जैसे, सूर्य का अस्त हुआ, आकाश लाल हुआ, बराह पोखरो से उठकर घूमने लगे, और मोर अपने रहने के झाड़ो पर जा बैठे। हरिण हरियाली पर सोने लगे, पक्षी गाते-गाते घोंसलो की ओर उड़े, और जंगल में धीरे-धीरे अंधेरा फैलने लगा । | ( ग ) उन कई आश्रित वाक्यो के बीच में, जो एकही मुख्य उप- वाक्य पर अवलंबित रहते हैं, जैसे, जने तक हमारे देश के पढ़े-लिखे लोग यह न जानने लगेगे कि देश में क्या क्या हो रहा है, शासन में क्या त्रुटियाँ हैं, और किन किन बातों की आवश्यकता है, और आवश्यक सुधार किए जाने के लिए आंदोलन करने लगेगे, तब तक देश की दशा सुधारना बहुत कठिन होगा । (३) पूर्ण विराम ' ४०६-इसका उपयोग नीचे लिखे स्थानों में होता है- | ( क ) प्रत्येक पूर्ण वाक्य के अंत में, जैसे, महाकवियों की वाणी में .. अलौकिक रस होता है । इस नदी से हिन्दुस्तान के दो समविभाग होते। " हैं। सब लोगो का अनुमान था कि इस वर्ष फसल बहुत अच्छी होगी । | ( ख ) बहुधा शीर्षक और शब्द के पश्चात् जो किसी वस्तु के उल्लेख मात्र के लिये आता है, जैसे, राम-बन-गमन । पराधीन सपनेहुँ - सुख नाहीं । ग्राम्य जीवन और नागरिक-जीवन । ' " ( ग ) प्राचीन भाषा के पद्यों में अली के पश्चात्, जैसे, जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी । सो नृप अवसि नरक अधिकारी ॥