पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२४६

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१ २३४ } , साधु शांत, और कोमल स्वभाव का था । नौकर कोट झाड़ता है, बिस्तर बिछाता और बाजार से सौदा लाता है ।। | ( ग ) जब कोई शब्द जोडे से आते हैं, तब प्रत्येक जोडे के पश्चात्; जैसे ब्रह्मा ने दुख और सुख, पाप और पुण्य, दिन और रात, ये बनाये हैं। छोटे और बडे, धनी और गरीब, पढ़े और अपढ, सब ईश्वर को मानते हैं, घ ) समानाधिकरण; शब्दो के बीच मे; जैसे, ईरान के बादशाह, नादिरशाह ने दिल्ली पर उढ़ाई की । राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र, राम- चंद्रजी पन को गए। | ( है ) कई-एक क्रियाविशेषण-वाक्यो के साथ जैसे बडे महात्माओं ने समय-समय पर, यह उपदेश दिया है । एक हब्शी लड़का 'मजबूत रस्सी का एक सिरा अपनी कमर में लपेट, दूसरे सिरे को लकड़ी के बड़े टुकड़े में बाँध, नदी में कूद पड़ा । १ च संबोधन कारक की संज्ञा और संबोधन शब्दों के पश्चात्; जैसे, है ईश्वर, तू सबकी इच्छा पूरी करता है। अरे, यह कौन है? लो, मैं यह वला । । (छ) संज्ञा-वाक्य को छोड़ मिश्र-वाक्य के शेष बडे उपवाक्य के बीच में, जैसे, हम उन्हें सुख देंगे, क्योकि उन्होने हमारे लिए दुःख सहा है। आप एक ऐसे मनुष्य की खोज कराइए; जिसने कभी दुःख का नाम न सुना हो । १ ज । जब संज्ञा-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य से किसी समुच्चय-बोधक के द्वारा नहीं जोड़ा जाता है; जैसे लड़के ने कहा, मैं अभी आता हूँ । परमेश्वर एक है, यह धर्म की मूल बात है ।। १ झ ) जब संयुक्त वाक्य के प्रधान उपवाक्य में घना संबंध रहता है, तब उनके बीच में; जैसे, पहले हमने बगीचा देखा, फिर मैं एक टीले पर चढ़ गया और वहाँ से उतरकर सीधा इधर चला आया । उसका आचरण अच्छा है, स्वभाव दयालु है, और चरित्र आदर्श , अर्द्ध-विश ४०५-अद्ध विराम नीचे लिखी अवस्था में प्रयुक्त होता है-