पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२४३

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( २३१ ) सातवाँ पाठ संक्षिप्त वाक्य () सुना है । () कहते हैं दूर के ढोल सुहावने ( ) ।। ४००----ऊपर लिखे वाक्यों में कुछ शब्द छूटे हुए हैं जो रचना में आवश्यक होने पर भी अपने अभाव से वाक्य के अर्थ में कोई हीनता उत्पन्न नहीं करते } इस प्रकार के वाक्यों को संक्षिप्त वाक्य कहते हैं । । ४०१----किसी-किसी-विशेष वाक्य के साथ पूरे मुख्य उपवाक्य का ' लोप हो जाता है; जैसे जो हो, आज्ञा, जैसा आप समझें । सूचना संक्षिप्त वाक्यों का पृथक्करण करते समय अव्याहृत शब्दों को प्रकट करने की आवश्यकता होती है। पर इस बात का विचार रखना चाहिए कि इन वाक्यों की जाति में कोई हेर फेर न हो । संक्षिप्त वाक्य के पृथक्करण का उदाहरण बहुत गईं थोड़ी रही, नारायण अब चैत । फिर पछताए होत का, चिड़ियाँ चुन गई खेत ।। उद्देश्य । , विधेय वाक्य । प्रकार संयोजक शब्द मु० उ० उ० व० मुं० वि० | कर्स पूर्ति विधेय-विस्तारक वर्द्धक | फर्स ० | (क) । ( संक्षिप्त } { {(अव- । । , बहुत गई |मुख्यउपवाक्य (ख) ( संक्षिप्त ) (और) । थोड़ी रही। ० ० |, थोड़ी रही। मुख्यउपवाक्य (क) का समा- नाधिकरण (संयोजक)

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