पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२४

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बालक, कौन, अंतर दैव, धन, बड़ाई, बढ़ना, जहाज, फुरसत, संदेश, संदेशा, घनश्याम । समाचार जब लछमन पाए । ब्याकुल बदन विलखि उठि धाए । छठाँ पाठ संथि राम + अवतार = रामावतार अ + अ= जगत् +ईश=जगदीश त्+ई = दी। मनः+हर=मनोहर १-+हो +ह ४३-ऊपर लिखे शब्द संस्कृत भाषा के हैं। पर हिंदी में उनका प्रचार है । इन शब्दो के खंडो में पहले खंड का अंत्याक्षर दूसरे खंड के आद्यक्षर से मिल गया है और दोनों के मेल से एक भिन्न अक्षर बन गया है । संस्कृत में अक्षर के इस प्रकार के मेले को संधि कहते हैं । राम --अवतार=रामावतार । अ + अ=r ईश्वर-4-इच्छा = ईश्वरेच्छा ।। | अ +इ=ए । भानु + उदय = मानूदय उ+उ = ऊ ४४-इन उदाहरणों में अ + अ मिलकर आ, अ +इ मिलकर ए और उ+उ मिलकर ऊ हुअा है। ये सब अक्षर स्वर हैं, इसलिये इनके मेल को स्वर-संधि कहते हैं । वाक् + ईश+वागीश क +ई = गी जगत् + ईश-जगदीश त्+ई = दी। उत् + चारण = उच्चारण त्+चा=चा जगत् -* नाथ = जगन्नाथ । । त् +ना = न्ना ४५-इन उदाहरणो में अंत्य व्यजनों के साथ स्वर अथवा व्यंजन मिले हैं और उनके स्थान में भिन्न अक्षर हो गए हैं। जिस संधि में व्यंजन के साथ स्वर अथवा व्यंजन मिलता है उसे व्यंजन-संधि कहते हैं ।