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( २२७ ) अभ्यास १-नीचे लिखे मिश्र वाक्यो का उपवाक्य-पृथक्करण करो जिन स्थानो का जल वायु स्वास्थ्यकारी न हो वहाँ न रहना चाहि । यदि तुम भूखे न हो तो मत खाओ। जिस प्रकार रामचंद्र अपने तीनों भाइयों पर प्यार करते थे उसी प्रकार वे तीनो बड़ा भाई मानकर उनकी सेवा करते थे । यद्यपि वह बड़ा विद्वान् था तथापि उसे इस बात का अभिमान न था कि मैं विद्वान् हैं । उसका कुचा जिसे वह बहुत चाहता था अचानक चौकी पर उछल पड़ा जिससे बची गिर गई और सब कागज भस्म हो गए। चाणक्य ने कहा कि जब तक हम राजा के घर का भीतरी हाल न जानें तबतक कोई उपाय नहीं सोच सकते । जिनका यह सिद्धांत है कि इस असार संसार में ईश्वर ने हमें परीक्षा के लिये भेजा है उन्हें यहाँ कोई डर नहीं है। इस बात का पता लगाना कठिन है क्योकि इस विषय में जो दत-कथाएँ प्रचलित हैं वे प्रामाणिक नहीं मानी जा सकती है नदी के तीर खड़े हो वसुदेव विचारने लगे कि पीछे तों सिह बोलता है। और आगे अथाह यमुना बह रही है, अब क्या करूं ? पाचवाँ पाठ मिश्रित वाक्य १---जो राजा यज्ञ में नहीं आते थे विरोधी समझे जाते थे और उनको यथोचित दंड दिया जाता था । | २---अक्षरों का धुंधलापन मिटाने में लिये लकड़ी पर तेल मल दिया जाता था और उनको इस प्रकार खोदते थे कि अक्षर उभरे हुए। दिखाई देने लगते थे। ३----जचे ये मुझसे मिलते हैं अथवा मेरे पास पत्र भेजते हैं तब मैं उनके यहाँ जाता हूँ; परंतु वहाँ अधिक दिन नहीं रहता।