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{ २२४ ) नहीं देते, हे बालहत्या के कारण सारे संसार में होती है। उन्होंने जो कुछ दिया उसी से मुझे परम संतोष है ।। ३८८-विशेषण-उपवाक्य संबंध वाचक सर्वनाम जो से आरंभ होता है और मुख्य वाक्य में उसका नित्य-संबंधी सो, वह आता है । कभी-कभी जो और सो से बने हुए जैसा') "जितना' और 'वैसा, उतना” सर्वदाम भी आते हैं । इनमें पहले दो विशेषण-उपवाक्य में और पिछले दो मुख्य उपवाक्य में रहते हैं। उदा०—जिसकी लाठी उसकी भैस । जैसा देश, वैसा भेष } ( 7 ) क्रियाविशेषणा-उपवाक्य ३८६--क्रियाविशेषण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की क्रिया की विशेपता बतलाता है। जिस प्रकार क्रियाविशेषण विधेय को बढ़ाने में उसका काल, स्थान, रीति, परिमाण, कारक और फल प्रकाशित करता है, उसी प्रकार क्रियाविशेषण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य के विधेय का अर्थ इन्हीं अवस्थाओं में बढ़ाता है ।। ३९०-अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण-उपवाक्य पॉच प्रकार के होते हैं--( १ ) कालवाचक ( २) स्थानवाचक (३) रीतिवाचक (४) परिमाणवाचक और ( ५ ) का कारण वाचक । । ३६१--कालवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य से निश्चित काल,कालाचत्थित और संयोग के पुनर्भाव का अर्थ सूचित होता है, जैसे, "जब किसान फंदा खोलने को आवे', तब तुम साँस रोककर मुर्दे के समान पड़ जाना ! जब अाधी बड़े जोर से चल रही थी, तब वह एक टापू पूर । पहुँचा ।। | कालवाचक-क्रियाविशेषण-उपवाक्य जब, ज्योंही, जब-जब, जब-तक और वन कभी सबंधवाचक क्रियाविशेषणो से आरंभ होते हैं और मुख्य उपवाक्य में उनके नित्य-संबधी तब, त्योही, तब-तब जाते हैं । ३९२८-स्थानवाचक क्रियाविशेएण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य के