पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२३५

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( २२३ } ( अ ) उद्देश्य-इससे जान पड़ता है कि बुरी संगति का फल बुरा होता है। मालूम होता है कि हिंदू लोग भी इसी घाटी से होकर हिंदुस्तान में आए थे।" । ( अ ) कर्म-वह जानती भी नहीं कि धर्म किसे कहते हैं ।मैने सुना है कि आपके देश में अच्छा राज-पबंध है ।” (इ) पूर्ति---मेरा विचार है कि हिंदी का एक साप्ताहिक पत्र निकालें । उसकी इच्छा है कि आपको मारकर दिलीपसिह को गद्दी पर बिठावें ।” | ( ई.) समानाधिकरण शब्द-इसका फल यह होता है कि इनकी तादाद अधिक न होने पाती ।” यह विश्वास दिन पर दिन बढ़ता जाता है कि मरे हुए मनुष्य इस संसार में लौटकर आते हैं। ३८६-- ज्ञा-उपवाक्य बहुधा स्वरूप-वाचक समुच्चय-बोधक कि या ज से आरंभ होता है; जैसे वह कहता है कि मैं कल जाऊँगा।" यही कारण है जो धर्म ही उनकी समझ में नहीं आता । | ( ख ) विशेषण उपवाक्य ३८७---विशेषण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की किसी संज्ञा की विशेपता बतलाता है; इसलिये वाक्य में जिन-जिन स्थानों में संज्ञा आती है, उन्हीं स्थानों में उसके साथ विशेषण उपवाक्य लगाया जा सकता है,जैसे, | ( अ ) उद्देश्य के साथ--एक बड़ा बुद्धिमान डाक्टर था जो राज नीति के तत्व को अच्छी तरह समझता था । जो सोया उसने खोया । | ( अ ) कर्म के साथ-वहाँ जो कुछ देखने योग्य था, मैंने सब देख लिया । वह ऐसी बातें कहता है, जिनसे सबको बुरा लगता है। ( इ ) पूर्ति के साथ-वह कौन सा मनुष्य है जिसने महाप्रताप राजा भोज का नाम न सुना हो । राजा का घातक एक सिपाही निकला जिसने एक समय उसके प्राण बचाए थे । - (ई) विधेय-विस्तार के साथ----आप उस अपकीर्ति पर ध्यान