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( २१६ ) तीसरा पाठ संयुक्त-वाक्य मैं आगे बढ़ गया और वह पीछे रह गया । मेरा भाई वहाँ आवेगा या मै ही उसके पास जाऊगा । । ये लोग नए बसनेवालों से सदैव लड़ा करते थे, परंतु धीरे-धीरे , जंगल पहाड़ों में भगा दिए गए। | शाहजहाँ इस बेगम को बहुत चाहता था; इसलिये उसे इस रौजे के बनाने की बड़ी रुचि हुई । ३७९---ऊपर लिखे दूसरे वाक्यों में से प्रत्येक में दो मुख्य उपवाक्य मिले हुए हैं। यदि हम चाहे तो इन मुख्य उपवाक्यों का उपयोग अलग-अलग भी कर सकते हैं; जैसे, मैं आगे बढ़ गया। वह पीछे रह गया। जिस वाक्य मे दो या अधिक मुख्य उपवाक्य मिले रहते हैं, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं । संयुक्त वाक्यो के उपवाक्य एक दूसरे के समानाधिकरण होते हैं । ३८०-संयुक्त वाक्यो के समानाधिकरण उपवाक्यों में चार प्रकार का संबंध पाया जाता है--सयोजक, विभाजक; विरोधदर्शक और परिणाम बोधक | यह संबंध समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्ययों के द्वारा सूचित होता है; जैसे--- ( १ ) संयोजक--- में गा समुद्र में होता है और वहाँ छचा बॉधकर बढ़ता रहता है। विद्या से ज्ञान बढ़ता है, विचारशक्ति प्राप्त होती है। | और मान मिलता है । पेड़ के जीवन का आधार केवल पानी ही नहीं है; वरन् कई पदार्थ भी हैं। (२) विभाजक---उन्हे न नींद आती थी; न भूख-प्यास लगती थी । या तो आप स्वतः आइए या अपने नौकर को भेजिए। अब तू | या छूट ही जायेगा, नहीं तो कुत्तो-गिद्धो का भक्ष्य बनेगा। (३) विरोधदर्शक---कामनाओं के प्रबल हो जाने से आदमी