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( २१७ ) (ङ) कच, कर्म और संबंध कारकों को छोड़ शेष कारक-मैंने चाकूसे फल काटा। वह नहाने को गया है। मैं अपने किए पर पछताता हूँ। ( ३७८ )-अर्थ के अनुसार विधेयवर्धक के ( क्रिया-विशेषण के | समान नीचे लिखे भेद होते हैं-- (१) कालवाचक----मैं कल आया। वह दो महीने से बीमार रहा है, = । उसने बार-बार यह कहा। स्थानवाचक---पंजाब में हाथियों का बन नहीं है। प्रयाग गंगा के किनारे बसा है। गाड़ी बंबई को गई । । (३) रीतवाचक--मोटी लकड़ी अड़ा बोझ अच्छी तरह सँभालती

  • है। घोड़ा लँगड़ाता हुआ भागा । सिपाही ने तलवार से चीते को मारा।

(४) परिमाणवाचक-- मैं दस मील चला। यह लड़का तुम्हारे बराबर काम नहीं कर सकता । धन से विद्या श्रेष्ठ है । सूचना-नहीं (न मत) को विधेय-विस्तारक न मान कर साधारण विधेय का एक अंग मानना उचित है । ।। (५) कार्य-कारण-वाचक----तुम्हारे आने से मेरा काम सफल होगा । ' पीने को पानी लाओ । शक्कर से मिठाई बनती है। साधारण वाक्य के पृथक्करण के कुछ उदाहरण-~- • ( १ ) वह आदमी पागल हो गया । (२) इसमें वह बेचारा क्या कर सकता था। । ' (३) एक सेर घी बस होगा । | . (४) खेत का खेत सूख गया । । (५) यहाँ आये मुझे दो वर्ष हो गए। (६)राजमंदिर से बीस फुट की दूरी पर चारों तरफ दो फुट ऊँची दीवार है। । (७) दुर्गध के मारे वहाँ बैठा नहीं जाता था। |., (८) यह अपमान किससे सहा जायगा । (६) नैपालवाले बहुत दिनों से अपना राज्य बढ़ाते चले आते थे । १५