पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२२७

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( २१५ ) . ( घ) संज्ञा वाक्यांश-वह खेत नापना सीखता है। मैं आपका , इस तरह बातें बनाना नहीं सुनँगा । बकरियो ने खेत का खेत चर लिया । ३७१-गौण कर्म मे भी ऊपर लिखे शब्द पाए जाते हैं; जैसे, ( क ) संज्ञा–यज्ञदत्त देवदत्त को व्याकरण पढ़ाता है। ब्राह्मण ने राजा को कथा सुनाई। | ( ख ) सर्वनाम-उसको यह कपड़ा पहनाओ। मुझे किसी ने सलाह नहीं दी। (ग) विशेषण--वे भूखे को भोजन और प्यासे को पानी देते हैं। | (घ ) संज्ञा वाक्यांश- उसने मेरे कहने को मान नही दिया । मैं गॉव के गॉव को सदाचार, सिखाता हूँ। ३७२---कर्मवाच्य में द्विकर्मक क्रियाओं का मुख्य कर्म उद्देश्य हो। जाता है और वह ककारक में आता है; परंतु गौण कर्म ज्यो का त्यो बना रहता है; जैसे ब्राह्मण को दान दिया गया। मुझको वह बात बताई जायगी | गाय को घास खिलायी जाती है। ३७३-अपूर्ण सकर्मक क्रियाओं के कतृवाच्य मे कर्म के साथ कर्म-पूर्ति आती है; जैसे ईश्वर राई को पर्वत करता है। मैंने मिट्टी को ' सोना बनाया । तूने सारे धन को मिट्टी में मिला दिया । ३७४-सजातीय अकर्मक क्रियाओं के साथ उन्हीं की धातु से बना सजातीय कर्म आता है; जैसे, वह अच्छी चाल चलता है। योद्धा सिंह की बैठक बैठा । लड़का दौड़ दौड़ता है। ३७५----उद्देश्य के समान कर्म और पूर्ति का भी विस्तार होता है ।। यहाँ मुख्य फर्म के विस्तारक शब्दों की सूची दी जाती है-- ( क ) विशेषण---मैने एक घड़ी मोल ली । तुम बुरी बातें छोड़ | दो । वह उड़ती हुई चिड़िया पहचानता है। | ( ख ) समानाधिकरण शब्द-आध सेर घी लाओ, मै अपने ' मित्र गोपाल को बुलाता हूँ । राम ने लका के राजा, रावण को मारा ।