पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२२५

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( २१३ ) (इ) संज्ञा वाक्यांश---वहाँ लाना ठीक नहीं । झूठ बोलना - पाप है । खेत का खेत सूख गया । । ३६७-उद्देश्य बहुधा कच कारक में रहता है; पर कभी-कभी वह दूसरे कारकों में आता है; जैसे, (. १) प्रधान कर्ता कारक-लड़का दौड़ता है। स्त्री कपड़ा सीत है। बंदर पेड़ पर चढ़ रहे थे । | (२) अप्रधान. कच कारक-मैंने लड़के को बुलाया। सिपाही ने चोर को पकड़ा । हमने अभी नहाया है । ( ३ ) अप्रत्यय कर्म कारक-चिट्ठी लिखी जायगी। दवा बनाई गई। पुस्तक छापी जाती है। (४) करण कारक-( भाववाच्य में लड़के से चला नहीं जाता । मुझसे बोलते नहीं बनता । रोगी से अब बैठा जाता है। ( ५ ) संप्रदान कारक--आपको ऐसा न करना चाहिए था । मुझे वहाँ जाना था । राजा को हुक्म देते बना ।। ३६८-वाक्य के साधारण उद्देश्य में विशेषणादि जोड़कर उसका विस्तार करते हैं। उद्देश्य की संज्ञा का अर्थ नीचे लिखे शब्दों के द्वारा बढ़ाया जा सकता है- | ( क ) विशेषण---अच्छा लड़का माता-पिता की आज्ञा मानता है । लाखों आदमी हैजे से मर जाते हैं। भले मनुष्य कभी अशिष्ट व्यवहार नहीं करते। | ( ख ) संबंध कारक---दर्शको की भीड़ बढ़ गई । भोजन की सब चीजे लाई गई । जहाज पर के यात्रियों ने आनंद मनाया। | ( ग ) समानाधिकरण शब्द----परमहंस कृष्णस्वामी काशी गए । . उनके पिता जयसिंह यह बात नहीं चाहते थे । महाभारत युद्ध में द्वारका के राजा श्रीकृष्ण सम्मिलित हुए थे। | (घ ) विशेषण वाक्याश---दिन का थका हुआ मनुष्य रात को ' खूब सोया । काम सीखा हुआ नौकर कठिनाई से मिलेगा । आकाश में | फिरता हुआ चंद्रमा राहु से ग्रसा जाता है ।