पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२२२

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वा अध्याय वाक्य पृथक्कर पहल गठ वाझ्य, उपाय और बायाँश महाराज दशरथ जनक का निमंत्रण पाकर बहुत प्रसन्न हुए। चंद्रगुप्त नहुत बुद्धिमान राजा था । दयाराम राज का एक पुराना नौकर था । गरसी के दिलों में समुद्र का बहुत सा पानी भाप बन जाता है । उपमन्यु वड़े यत से गुरु की गौवें चराने लगा। ३६०-उपर लिखा प्रत्येक शब्द-समूई एक-एक पूरा विचार प्रकट , करता है। शुब्दो के ऐसे समूह को जिससे पूरा विचार प्रकट होता है, वाक्य कहते हैं। गुरु वसिष्ठ से राशा से कहा कि अब कोई चिंता की बात नहीं है। जिन सीप में मोती उत्पन्न होते हैं, वे समुद्र की तली में रहती हैं। जैसे ही शैव्या ने धोती फाड़कर देनी चाही; त्या साक्षात् भगवान् प्रकट हो गए । जब शरीर प्राणवायु धारण करने में असमर्थ हो जाता है, तब मनुष्य मर जाता है । राजा ने ऋषि को बड़े आदर से सभा में बुलाया और उन्हें आसन पर बैठाया । ३६१-ऊपर लिखे उदाहरणो में एक पूरा विचार प्रकट करने के लिए दो-दो वाक्य आए हैं; क्योकि एक वाक्य का अर्थ दूसरे पर