पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२१९

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( २०७ ) सुनकर उसे खेद और दुःख हुआ । लड़के की बुद्धि और ज्ञान कुंठित जान पड़ता है । मक्खियों की आदते गंदी और हानिकारक होती हैं । सिपाही के हाथ, पैर तथा अन्य अंग थक गए। प्रत्येक केबिन में आल- मारी, पलंग, मेज, कुरसी और हाथ मुंह धोने का सामान रहता है। आज चिट्ठी या समाचारपत्र नहीं आए। ग्राहक ने धोतियाँ और टोपियाँ खरीदीं। मनुष्य अच्छी, सस्ती तथा उपयोगी वस्तुएँ खरीदता है। घर में कई मनुष्य, स्त्रियाँ और लड़के रहते हैं । गोपाल ने छाता छड़ी मोल ली । चौथा पाठ शब्दों का क्रम ३५३-वाक्य में पदक्रम का सबसे साधारण नियम यह है कि पहले कर्त्ता वा उद्देश्य, फिर फर्म वा पूर्ति और अंत में क्रिया रखते हैं। जैसे, लड़का पुस्तक पढ़ता है। सिपाही सूबेदार बनाया गया । मोहन चतुर जान पड़ता है । ३५४-द्विकर्मक क्रियाओं में गौण कर्म पहले और मुख्य कर्म पीछे आता है; जैसे, हमने अपने मित्र को चिट्ठी भेजी। गुरु शिष्य को गणित पढ़ाता है। राजा ने सिपाही को सूबेदार बनाया है। ३५५-दूसरे कारकों में आनेवाले शब्द उन शब्दों के पूर्व आते हैं। जिनसे उनका संबंध होता है, जैसे, मेरे मित्र की चिट्ठी कई दिन में आई। यह गाड़ी बंबई से कलकत्ते तक जाती है। राम अपने गुणो में एक ही है । ... ३५६---विशेषण संज्ञा से पहले और क्रिया-विशेषण ( वा क्रिया- विशेषण-वाक्यांश ) बहुधा क्रिया के पहले आते हैं; जैसे, एक भेड़िया किसी नदी में, ऊपर की तरफ पानी पी रहा था। राजा आज नगर में आए हैं। चतुर मनुष्य बहुधा समय व्यर्थ नहीं खोते, ३५७--समानाधिकरण शब्द मुख्य शब्द के पीछे आता है और । पिछले शब्द में विभक्ति का प्रयोग झेता है; जैसे, कल्लू, तेरा भाई बाहर