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( २०५ ) ३४३-यदि एक ही लिंग की अनेक एकवचन अप्राणिवाचक अथवा भाववाचक संज्ञाएँ फर्म हो, तो क्रिया एकवचन में आएगी । हमने लड़का और लड़की देखे । . राजा ने दास और दासी भेजे । ' किसान ने गाय और बैल बेचे ।। ३४४–यदि भिन्न-भिन्न लिंगों की अनेक प्राणिवाचक संज्ञाएँ एक वचन में कर्म होकर आवे तो क्रिया बहुधा पुल्लिंग बहुवचन मे आती है। | उसने मेरे वास्ते सात कमीजे और कई कपड़े तैयार किए थे । उसने वहाँ देख-रेख और प्रबंध किया । मैंने किश्ती में एक सौ मरे बैल, तीन | सौ भेड़े और खाने-पीने के लिये रोटियाँ और शराब भरपूर रख ली थी । ३४५--यदि भिन्न-भिन्न लिग वचन की एक से अधिक संज्ञाएँ " कर्म-कारक में आवे तो क्रिया अंतिम कर्म के अनुसार होगी। | तुमने टोपी या कुत लिया होगा | लड़के ने पुस्तक, कागज अथवा पेंसिल पाई थी । उसने पुस्तक या कापी भेजी होगी । ३४६-यदि कई कर्म विभाजक-समुच्चयबोधक के द्वारा जुड़े हो तो क्रिया अंतिम कर्म के अनुसार होती है ।। | . ( ३) विशेषण और विशेष्य का अन्वय वह कौन सा जप-तप, तीर्थयात्रा, होम-यज्ञ और प्रायश्चित हैं ? आपने छोटी-छोटी काबियाँ और प्याले रख दिए । पुरानी सड़कें और रास्ते सुधारे गए। ३४७–यदि अनेक विशेष्यो का एक ही विकारी विशेपण हो तो ।' वह प्रथम विशेष्य के लिंग-वचनानुसार बदलता है ।। एक लंबी, मोटी और सीधी छड़ी लाओ। उस पेड़ में पैने और टेढ़े कटे हैं । लोग अच्छी और सस्ती चीजें पसंद करते हैं ।