पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२१५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( २०३ )

________________

( २०३) भाग आया होगा शायद वह राक्षस हो । उसकी यह इच्छा ही थी कि लक्ष्मण चले जावें । इस समय मारीच के मुंह से ऐसे शब्द निकले मानों राम बोल रहे हैं। राम ने लक्ष्मण से कह दिया था कि तुम सीता को छोड़ अकेले कहीं मत जाना । तीसरा पाठ शब्दों का अन्वय ( १ ) उदेश्य और क्रिया का अन्वय किसी बन में हिरन और कौवा रहते थे । मोहन और सोहन सड़क पर खेल रहे हैं । | ३३६---यदि संयोजक समुच्चय-बोधक से जुड़ी हुई एक ही पुरुष और एक ही लिंग की एक से अधिक एकवचन प्राणिवाचक संज्ञाएँ अप्रत्यय क-कारक में आकर उद्देश्य हों, तो उनके योग से क्रिया उसी पुरुष और लिंग के बहुवचन में आएगी । | मेरी बातें सुनकर महारानी को हर्ष तथा आश्चर्य हुआ । कुँए में से घड़ा तथा लोटा निकला । उसकी । बुद्धि का बल और राजा का अच्छा नियम इसी एक काम से मालूम हो जावेगा । ३३७--संयोजक सुमुच्चय-बोधक से जुड़ी हुई एक ही पुरुष और लिंग की दो वा अधिक अप्राणिवाचक अथवा भाववाचक संज्ञाएँ यदि एकवचन में आवे तो क्रिया बहुधा एकवचन ही में रहती है । | राजा और रानी भी मूर्छित हो गए। कश्यप और अदिति बातें करते हुए दिखाई दिए । गाय और बैल चरते हैं । " ३३८-यदि भिन्न-भिन्न लिंगो की दो (वा अधिक ) प्राणिवाचक