पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२१२

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( २०० ) । ( ११ ) सामान्य भूतकाल ३३०५---सामान्य भूतकाल नीचे लिखें अर्थ सूचित करता है--- (अ) वोलने वा लिखने के पूर्व क्रिया की स्वतंत्र घटना--जैसे, विधन ने इस दुःख पर भी वियाग दिया । गाडी सवेरे आई 1 से कहि कुटिल भई उठि ठाढी । । आ ) आसन्न भविष्यत्---अप चलिए, मैं अभी आया । अङ्ग यह बेमौत मरा । भला अब कौन बोले ( इ ) सांकेतिक अथवा संबववाचक वाक्य में इस काल में साधारण वा मिश्रित भविष्यत् का बोध होता है, जैसे, अगर तुम एक कदम भी बढ़े ( बढोगे ), तो तुम्हारा बुरा हाल हुवा । यही पानी रुका ( रुकेगा , यही हमें भागे ( भागे गे ) । जहाँ मैंने कुछ कहा, वहाँ वह उठकर तुरन्त वला । | ( ई ) अभ्यास, संबोधन अथवा स्थिर सत्य सूचित करने के लिए इस काल का उपयोग सामान्य वर्तमान के समान होता है; जैसे, ज्योही बह उठा ( उठता है ) त्योंही उसने पानी मॉगर ( माँगता है), लो, मैं चला } पढ़ा जिन्होने छंद-प्रभाकर, काया पलट हुई पद्माकर । (१२) आसन्न भूतकाल ( पूर्ण वर्तमानकाल ) ३३१----इस काल के अर्थ ये हैं--- ( अ ) किसी भूतकालिक क्रिया का वर्तमानकाल में पूरा होना; जैसे, नगर में एक साधु आए हैं । उसने अभी नहाया है। वह अभी आया है। ( अ ) ऐसी भूतकालिक क्रिया की पूर्णता जिसका प्रभाव वर्तमानकाल में पाया जावे, जैसे, विहारी कवि ने सतसई लिखी है। दयानंद सरस्वती ने ऋग्वेद का अनुवाद किया है । भारतवर्ष में अनेक दानी राजा हो गए हैं। (इ) भूतकालिक क्रिया की आवृत्ति सूचित करने में बहुधा आसन्न भूतकाल आता है, जैसे, जब जब अनावृष्टि हुई है, तब तब अकाल पड़ा है, जब-जब वह मुझे मिला है, तब-तब उसने धोखा दिया है ।