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( १९८ )। ( 3 ) अभ्यास---जैसे, हम बड़े तड़के उटते हैं। सिपाही पइरा देता है। गाड़ी दोपहर को आती है । (ऊ) आसन्नभूत-पको राजा सभा में बुलाते हैं। मैं अभी अजोध्या से आता हूँ। क्या हम तेरी जाति पति पृछते हैं? ( ऋ) आसन्न-भविष्यत्----मैं तुम्हें अर्भ देवता हैं। अब तो वह मरता है। लो, गाडी, अब आती है। (७) अपृर्ण भूतकाल ३२६-इस काल से नीचे के अर्थ सूचित होते हैं ( अ ) भूतकाल की किसी क्रिया की अपूर्ण देशा=किसी जगह कथा होती थी । चोर चक्कर लगाता था । चिल्लाती वह रो- करे । | (अ) भूतकाल की किसी अवधि में एक काम को बार बार होना-- जहाँ जहाँ रामचंद्र जी जाते थे, वहाँ मैच छाया करते थे। वह जे जे कहता था, उसका उत्तर में देता जाता था । (इ) भुतकालिक अभ्यास-पहले यह वहुत सोता था | मैं उसे जितना पानी पिलाता था उतना वह पीता था। (ई) भूतकालीन उद्देश्य-मैं आपके पास आता था। वह कपड़े पहिनता ही था कि एक-नौकर ने उसे पुकारा ।। (८) संभाव्य वर्तमानकाल ३२७—इस काल के अर्थ ये हैं--- ( अ ) वर्त्तमानकाल की ( अपूर्ण ) क्रिया की संभावना---कदाचित् इस गाड़ी में मेरा भाई जाता हो । मुझे डर है कि कहीं कोई देखता न हो । शायद राम पढ़ता हो । ( अ ) अभ्यास ( स्वभाव या धर्म )--ऐसी घोड़ा लाओ जो घंटे में दस मील जाता हो । हम ऐसा घर चाहते हैं जिसमें धूप आती हो । वह ऐसा लड़का नहीं है जो सदा लापरवाही करता हो । (इ) भूत अथवा भविष्यत् काल की अपूर्णता की संभावना-जब आप