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( १९७ ) ( अ ) क्रिया की असिद्धता का संकेत ( तीनो कालों में ), जैसे, मेरे एक भी भाई होता, तो मुझे बड़ा सुख मिलता (भूत)। जो उसका काम न होता तो वह कभी न आता ( वर्तमान ) । यदि कल आप मेरे ' साथ चलते, तो वह काम अवश्य हो जाता ( भविष्यतू )। ( अ ) असिद्ध इच्छा-जैसे, हा ! जगमोहन सिंह, आज तुम जीवित होते । कुछ दिन के पश्चात् नींद निज अंतिम सोते ।। (इ) कभी-कभी सामान्य संकेतार्थ काल के संभाव्य भविष्यत्काल के अर्थ की इच्छा सूचित होती है; जैसे मैं चाहता हूँ कि वह मुझसे मिलता (=मिले )। यदि आप कहते (कहे ) तो मै उसे बुलाता (= बुलाऊँ ) । इसके लिए यही उपाय है कि आप जल्दी आते ।। | ( ई ) भूतकाल की किसी घटना के विषय में संदेह का उत्तर देने के लिए सामान्य संकेतार्थ काल का उपयोग बहुधा प्रश्नवाचक और निषेध वाचक वाक्य में होता है; जैसे अर्जुन की क्या सामथ्र्य थी कि वह हमारी बहन को ले जाता है। (६) सामान्य वर्तमान काल • ३२५-यह काल नीचे लिखे अर्थों में आता है---- ( अ ) बोलने के समय की घटना--जैसे, पानी अभी बरसता है । गाड़ी आती है। वे आप को बुलाते हैं । | ( अ ) ऐतिहासिक वर्चमान-भूतकाल की घटना को इस प्रकार वर्णन करना मानो वह प्रत्यक्ष हो रही हो; जैसे, तुलसीदासजी ऐसा कहते हैं । राजा हरिश्चंद्र मंत्रियो सहित आते हैं । शोक-विकल सुब रोवहिं रानी। ( इ ) स्थिर सत्य-साधारण नियम किंवा सिद्धात बनाने में अर्थात् ऐसी बात कहने में जो सनातन और सल्य है इस काल का प्रयोग किया जाता है; जैसे सूर्य पूर्व में उदय होता है। पक्षी अंडे देते हैं । आत्मा अमर है। , (ई) वर्त्तमानकाल की अपूर्णता--जैसे, पंडितजी स्नान करते हैं ( कर रहे हैं )। मै अभी लिखता हूँ। गाड़ी आती है।