पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२०६

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(२) “पर” नीचे लिखे अर्थ सूचित करता है- (क) बाह्य आधार--सिपाही घोड़े पर बैठा है। लड़की द्वार पर खड़ा है। नौकरों पर दया करो । (ख) दूरता---एक कोस पर, कुछ आगे जाने पर, एक कोस की दूरी पर । (ग) कारण ---मेरे बोलने पर वह अप्रसन्न हो गया । अच्छे काम पर इनाम मिलता है। इस बात पर सब जग मिट जायगा । (घ) अधिकता--इस अर्थ में संज्ञा की द्विशक्ति होती है; जैसे घर से चिट्टियों पर चिट्टियों आती हैं। तगादे पर तगादा भेजा जा रहा है । दिन पर दिन भाव चढ़ रहा है। (ङ) निश्चित काल-समय पर वप नहीं हुई। एक-एक घंटे पर दवा दी जावे । गाड़ी नौ बजकर पैंतालिस मिनट पर आती है। । (च) नियम पालन---वह अपने जेठों की चाल पर चलता है। तुम अपनी बात पर नहीं रहते । लड़के माँ बाप के स्वभाव पर होते हैं । (छ। अनंतरता--भोजन करने पर खाना चाहिए । बात पर बात निकलती है। आप का पन्न आने पर सन्न प्रबंध हो जायगा । (८) संबोधन कारक ३१८-इस कारक का प्रयोग किसी को चिताने अथवा पुकारने में होता है; जैसे, भाई तुम कहाँ गए थे ? मित्रो, इमारी सहायता करो । | ३१६-संबोधन कारक के साथ { आगे या पीछे ) बहुधा कोई एक विस्मयादिबोधक आता है; जैसे, तजो रे मन हरि विमुखन को संग । हे प्रभु रक्षा करो हमारी । भैया हो, यहाँ तो आओ । अभ्यास १-नीचे लिखे वाक्यों में कारक और उनके अर्थ बताओ--- दिल्ली में एक बादशाह का नाम अल्तमश था। उसकी पढ़ाई का बहुत अच्छा प्रबंध किया गया था । सरदारों को उसका शासन न भाया।