पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/२०१

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छठा अध्याय - वाक्य-विन्यास पहला पाठ कारकों के अर्थ ( १ ) कत्त कारक ३११–हिंदी में कुत्त-कारक के दो रूप हैं-- ( १ ) अप्रत्यय ( प्रधान ), ( २ ) सप्रत्यय ( अप्रधान ) | ( अप्रत्यय कत्त कारक नीचे लिखे अर्थों में आता है--- | ( क ) प्रतिपदिक के अर्थ मे ( किसी वस्तु के उल्लेख मात्र में ), । जैसे, पुण्य, पाप, लड़का, वेद, सत्संग, कागज । | ( ख ) उद्देश्य में--पानी गिरा । नौकर काम पर भेजा जायगा । • हम तुम्हें बुलाते हैं ।' , (ग ) उद्देश्यपूति में----योड़ा एक जानवर है । मंत्री राजा हो गया । साधु चोर निकला । सिपाही सेनापति बनाया गया । ( घ) स्वतंत्र उद्देश्य-पूर्ति में ----मंत्री का राजा होना सबको बुरा लगा | लड़के स्त्री बनना ठीक नहीं । , (ङ) स्वतत्र कर्ता के अर्थ में चार बजकर दस मिनट हुए हैं । इस औषधि से थकावट दूर होकर बल बढ़ता है। दिन निकलते ही चोर भाग गए। (२) सप्रत्यय कर्ता-कारक वाक्य में केवल उद्देश्य ही के अर्थ में , आता है, जैसे, लड़के ने चिट्ठी लिखी। मैने नौकर को बुलाया। हमने अभी नहाया है।