पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१९७

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( १८५ ) ( १ ) संज्ञाएँ-काम-काज, बात चीत, सटर-पटर ।। ( २ ) विशेषण-भरा-पूरा, भोला-भाला; इट्टा-कट्टा । ( ३ ) क्रिया--लड़ना-भिड़ना, पूछना-ताछना, सोचना-विचारना । । ( ४ ) अव्यय-यहाँ-वहाँ, आमने-सामने, आस-पास । ३१०---अनुकरणवाचक शब्दों के उदाहरण नीचे दिए जाते हैं ( १ ) सज्ञा---गड़बड़, खटखट, भनभन ।। ( २ ) विशेषण---गड़बड़िया, खटपटिया, भरभरिया ।। ( ३ ) क्रिया--हिनहिनाना, झनझनाना, भिनभिनाना । (४) क्रिया-विशेषण-झटझट, थरथर, धड़ाधड़ ।। अभ्यास नीचे लिखे वाक्य में पुनरुक्त शब्दों के भेद बताओ घर-घर बोलत दीन है जन-जन जॉचत जाय । बात-बात में भेद हैं। वहाँ पहुँचते ही पहुँचते रात हो जायगी । मेरे रोम-रोम प्रसन्न हो गए। उस सड़क पर कई ऊँचे-ऊँचे धर हैं । पुस्तके पढ़ते-पढ़ते आयु बीत गई । पागल अंट-संट बकता है। वहाँ दनादन गोली चली | उसने सब काम ठीक-ठाक कर लिया । लड़के ने जैसे-तैसे काम कर लिया। वह थर थर

काँप रहा है ।

| छठा पाठ हिंदी भाषा का संक्षिप्त इतिहास वैदिक काल में शिष्ट समाज की भापा संस्कृत थी; पर जन-साधारण | उस समय भी एक प्रकार की साधारण भाषा बोलते थे, जो प्राकृत कहलाती थी। इस प्राकृत से आगे पाली और द्वितीय प्राकृत का जन्म हुआ ! कालातर में ये भाषा व्याकरण के जटिल नियमों द्वारा बॉध दो गई; जिसका परिणाम यह हुआ कि बोल-चाल की भाषा | अपभ्रंश हो गई । अपभ्रंश भाषाएँ भी व्याकरण के नियमों के