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| ( १८३ ) ३०५--कभी-एक ही समास का विग्रह अर्थ भेद से कई प्रकार का होता है; जैसे, त्रिनेत्र' शब्द तीन ऑखों के अर्थ में कर्मधारय है; परंतु "तीन ऑखोंवाला ( महादेव ) के अर्थ में बहुव्रीहि है। "सत्यव्रत' शब्द के और भी अधिक विग्रह हो सकते हैं; जैसे सत्य और व्रत = द्वंद्व सत्य-रूपी ब्रत ? = कर्मधारय । | | | सत्यव्रत । = कंमधारय । सत्य है व्रत जिसका = बहुव्रीहि ऐसी अवस्था में समय का विग्रह केवल पूर्वापर संबंध से ही हो। सकती है। अभ्यास १-नीचे लिखे शब्दों में समासों के भेद बताओ-~ चीर फाड़, राजद्रोही, लंबोदर, यथाशक्ति, रघुकुल, चतुवर्ण, नाईधोबी, नव-रत्न, अनुरूप, मंद-बुद्धि, पीत-जण, गुरुदेव । २-नीचे लिखे अर्थों में सामासिक शब्द बना और उसके भेद बतासो--- (१) सच या झूठ । ( २ ) भाई और बहिन । ( २ ) भला मनुष्य । (४) स्त्री का धन ।। ( ५ ) चंद्ररूपी मुख । ( ६ ) जिसके तीन नेत्र हैं। ( ७ ) जिसका हृदय पाषाण है।( ८) जन्म से लेकर । ( ६ ) प्रत्येक मास में। (१०) दस अवतारो का समूह । पाँचवाँ पाठ पुनरुक्त और अनुकरण-वाचक शब्द | देश-देश बड़े-बड़े दौड़-दौड़कर