पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१९१

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( १७६ ) • प्रकार के समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। तत्पुरुष समास में बहुधा संज्ञाएँ या विशेषण आते हैं । | २६४--तत्पुरुप समास के प्रथम शब्द में कच और संबोधन कारकों को छोड़ शेष जिन कारको की विभक्तियों का लोप होता है, उन्हीं के अनुसार तत्पुरुप समास का नाम रखा जाता है; जैसे, कर्म-तत्पुरुष-संस्कृत ( उदा० ) स्वर्गप्राप्त, देशगत, आशातीत । करण तत्पुरुप--( संस्कृत ) ईश्वरदत्त; तुलसीकृत, भक्तिवश ।। ( हिंदी--मनमाना, गुइमरा, मुँहमॉगा, मदमाता । संप्रदान:तत्पुरुष--( सस्कृत ) कृष्णार्पण, देशभक्ति, बलि-पशु ( हिंदी )---रसोईघर, ठकुर-सुहाती, हथकड़ी । | अपादान तत्पुरुप-( संस्कृत ) जन्मांध, ऋणमुक्त, धर्म-विमुख । { हिंदी ) देश-निकाला, गुरुभाई, जन्मरोगी, कामचोर ।। • संबंध-तत्पुरुप-( संस्कृत ) राजपुत्र, प्रजापति, सेनानायक ।। | ( हिंदी ) राजपूत, बनमानुष, बैलगाड़ी, रामकहानी ।। ' अधिकरण-तत्पुरुष---(संस्कृत) ग्रामवास, गृहस्थ, प्रेममग्न ! (हिंदी) मन-मौजी, आप-बीती, कानाफूसी । २६.५---जन तत्पुरुष समास का दूसरा पद ऐसा कृदंत होता है। जिसका स्वतंत्र उपयोग नहीं हो सकता, तब समास को उपपद कहते हैं, जैसे, (संस्कृत )---ग्रंथकार, कृतज्ञ, नृप ।। ( हिंदी )---लकड़फोड़ा, चिड़ीमार, पनडुब्बी । २९६--अभाव अथवा निषेध के अर्थ मे शब्दो के पूर्व 'अ' वा ‘अन् लगाने से जो तत्पुरुष बनता है, उसे नन तत्पुरुष कहते हैं; जैसे, ( संस्कृत )-अधर्म ( न धर्म ), अन्याय, ( न न्याय ), अनाचार ( न आचार )। -( हिंदी ) अनबन, अनभल, अनरीत, अलग।