पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१९०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( १७८ )

( १७८ ) क्रियाविशेषण के समान उपयोग में आता है । इस समास का अव्ययीभाव समास कहते हैं । | २८९-यथा { अनुसार ), अ ( तक ), प्रति ( प्रत्येक }, यावत् { तक ) वि ( विना ) से बने हुए संस्कृत अव्ययीभाव समास हिंदी में बहुधा आते हैं, जैसे, यथास्थान, जन्म, यावज्जीवन, प्रतिदिन । २९०---हिंदी में संस्कृत पद्धति के निरे हिंदी अव्ययीभाव समास बहुत ही कम पाए जाते हैं। इस प्रकार के जो शब्द हिंदी में प्रचलित हैं, वे तीन प्रकार के होते हैं- ( अ ) हिंदी; जैसे, निडर, निधड़क, भरपेट, अनजाने ।। ( अ ) उदू अर्थात् फारसी अथवा अरबी; जैसे, इररोज, बेशक, : बखूबी, नाहक । | { इ ) मिश्रित अर्थात् दोनों भाषाओं के शब्दों के मेल से बने हुए, . जैसे, हरघड़ी, हरदिन, बेकाम, बेखटके ।। । २६.१--हिंदी में अगली संज्ञा को द्विरुक्त करके भी अव्ययीभाव सुमास बनाते हैं, उदा०----घर-घर, पलपल, हाथों-हाथ, कभी-कभी } द्विरुक्त शब्दों के बीच में ही वो ‘हीं' अथवा 'आ' आता है; जैसे, मनही-मन, बरही-घर, मुंह-मुँह, एकाएक } २६२=संज्ञा के समान अव्ययों की द्विशक्ति से भी हिंदी में अव्ययीभाव समास होता है; जैसे बीचों-बीच, घड़ाधड़, पास-पास, धीरे-धीरे हैं। (२) तत्पुरुष समास लड़की रसोई-धर' में है। बालक जन्माध है । नौका जल-मग्न हो गई । राज पुत्र युद्ध में मारा गया । २६.३---ऊपर के उदाहरणो में जो सामासिक शब्द आए हैं; उनमें से प्रत्येक में दूसरा शब्द प्रधान है और पहले शब्द के पश्चात् किसी एक कारक की विभक्ति का लोप है; जैसे, राज पुत्र राजा को पुत्र | इस