पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१८२

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१ १७० ) सत्-अच्छा; जैसे सज्जन; सत्कर्म, सत्पात्र है। सह-साथ; जैसे, सहज, सहचर, सहोदर । स्व=अपना, निजी, उदा०–स्वदेश, स्वतंत्र, स्वभाव । ( ख ) हिंदी उपस ये उपसर्ग बहुधा सस्कृत उपस के अपभ्रंश हैं और विशेषकर तद्भव शब्दों के पूर्व आते हैं । अ=अभाव, निषेध, उदा०---अज्ञान, अचेत, अलग, अवर । । अपवाद-संस्कृत में स्वरादि शव्द के पहले के के स्थान में अन् हो जाता है; परंतु हिंदी में अन् व्यंजनादि शब्दों के पूर्व भी आता है; जैसे, अनमोल, अनबन, अनगिनती ।। अध{ सं०-- } = आधा, उदा०----अधकच्चा, अचपका । औं (सं०-~-अव } = हीन, वेिध, उदा०---ौगुन, औघट । नि १ ---निर) = रहित, निकम्मा, निडर ।। भरपूरा, ठीक; उदा० --~-भरपेट, भरपूर, भरसक । सु ( सं०---सु ) == अच्छा, उदो०----सुडौल, सुजान, सुपूत । | ( म ) उर्दू उपसर्ग कस = थोड़ा, इन; उदा०-कमजोर, कमबख्त, कमकीमत । खुश = अच्छा, उदा०खुशबू, खुशदिल, खुशकिस्मत ।। गैर ( अ ०-गैर = भिन्न ) उदा०-गैरमुल्क, गैरहाजिर । ना = अमान ( सन } उदा० नाराज, नापसन्द, नालायक } व = ओर, मे, अनुसार, उदा०---न्त्रनाम, बइजलास, बदस्तूर । बद == बुर, बदमाश, बदबू, बदनाम । बा = साथ, उदा०--बातजुर्बा, बाकायदा, बातमीज । वे = बिना; उदा०-वेचारा, ( हि० बिचारा ) वेइमान, बेहतर है। ( यह उपसर्ग, बहुधा हिंदी शब्दो में भी लगाया जाता है; जैसे वेचैनी, वेजोड़, वेसुरः ।