पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१८१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
( १६९ )

( १६६ } परा=पीछे, उलटा; जैसे, पराक्रम पराजय, पराभव है परि=आसपास, चारो ओर, पूर्ण; जैसे, परिक्रमा, परिजन, परिपूर्ण । प्र=अधिक, आगे, ऊपर; जैसे, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल | प्रति=विरुद्ध, सामने, एक एक; जैसे, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष, प्रतिक्षण । वि=भिन्न, विशेष, अभाव; जैसे, विशेष, विवाद, विज्ञान । सम्=अच्छा, साथ, पूर्ण; जैसे, संतोष, संगम्, संग्रह । सु=अच्छा; सहज, अधिक; जैसे, सुकर्म, सुगम, सुशिक्षित । २८३-कभी कभी एक ही शब्द के साथ दो-तीन उपसर्ग आते हैं; जैसे, निराकरण, प्रत्यपकार, समालोचना ।। २८४-संस्कृत शब्दो में कोई कोई विशेषण और अव्यय भी उY सर्गों के समान व्यवहृत होते हैं । अ==अभाव, निःशेष; जैसे, अधम, अज्ञान, अगम, अनीति'। स्वरादि शब्दो के पहले 'अ के स्थान में अन्” हो जाता है। और अन्” के न्” में आगे का स्वर मिल जाता है; उदा०--अनेक, अनंतर, अनादर । हि०-अनाज, अछूता, अटल । अधस्==भीतर; उदो०----अधःपतन, अधोमुख, अधोगति ।। अंतर=नीचे; उदा०---अंतःपुर, अंतःकरण, अंतर्दशा । कु=(का, कद )---बुरा; उदा०--कुकर्म, कापुरुष, कदाचार | हिंदी--कुचाल, कुठौर, कुडौल ।। चिबहुत; उदा०—चिरकाल, चिरजीव, चिरायु । न–अभाव; उदा०—-नास्तिक, नक्षत्र, नपुसक। पुरस्=सामने, आगे; जैसे, पुरस्कार, पुरश्चरण, पुरोहित । पुरा=पहले; जैसे, पुरातन, पुरावृक्ष, पुरातत्व ।। पुनर=फिर, जैसे, पुनर्जन्म, पुनर्विवाह, पुनरुक्त । । बहिर=नाहर, जैसे, बहिष्कार, बहिर, बहिर्गत । स==सहित; जैसे सजीव, सफल, सगोत्र | हिंदी-सबेरा, सजग,सचेत । १२ "