पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१८

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तीसरा पाठ व्यंजनों के भेद | १५4' से लेकर ‘म’ तक जो पचीस व्यंजन हैं उन्हें स्पर्श कहते हैं क्योंकि उनके उच्चारण में जीभ का कोई न कोई भाग मुख के दूसरे भागो को स्पर्श करता ( छूता ) है । ( उच्चारण करके देखो )। • १६-स्पर्श व्यजनो के पाँच वर्ग किए गए हैं और प्रत्येक वर्ग का नाम पहले अक्षर से रखा गया है; जैसे, ।। कवर्ग–क, ख, ग, घ, ङः । वर्ग---च, छ, ज, झ, ञ) टवर्ग--2, ठ, ड, ढ, ण । तवर्ग-त, थ, द, ध, न । पवर्ग---प, फ, ब, भ, म ।। १७---‘य 'र' 'ल' और 'व' को अंतस्थ व्यंजन कहते हैं क्योकि उनका उच्चारण स्वरों और व्यंजनो के बीच का है । (उच्चारण करके देखो !) ८) १८.--'श', 'ध', 'स', और ई ऊष्म व्यंजन कहलाते हैं क्योकि इनके उच्चारण में एक प्रकार की सुरसुराहट सी होती है। (उच्चारण करके देखें । )। १६-प्रत्येक वर्ग के पिछले तीन व्यंजन अंतस्थ और है को घोष वर्ग कहते हैं, क्योंकि इनके उच्चारण में एक प्रकार की झनझनाहट सुनाई पड़ती है। इन्हें मृदु व्यंजन कहते हैं । २०---प्रत्येक वर्ग के पहले दो अक्षर और श, ष, स अघोष व्यंजन कहलाते हैं क्योंकि इनैके उच्चारण में एक प्रकार की खरखराहट सी जान पड़ती है । इन्हें कठोर व्यंजन भी कहते हैं । चोप---ग, घ, है, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न ब, भ, म । य, र, ल, व, हैं। अधोप-- क, ख, च, छ; ट, ठ; त, थे; प, फ; व, ष, स ।६. ३१-~प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पाँचवाँ अक्षर और अतथ अल्पप्राण कहलाते हैं। क्योकि इनके उच्चारण में श्वास का