पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१७९

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= = = = बीसमें अध्याय शब्द-रचना पहला पाठ उपस २७८--व्युत्पत्ति के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते हैं--( १ ) : । रूढ़ और ( २ ) यौगिक (५)/रूढ़ उन शब्दों को कहते हैं जो दूसरे शब्दों के योग से नहीं बने होते; जैसे नाक, कान, पीला, झट, पर । (२) जो शब्द दूसरे शब्दों के योग से बनते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं, जैसे, कतरनी, पीला-पन, दूधवाला, झट-पट, घुड़साल । यौगिक शब्दों में ही सामासिक शब्दों का भी समावेश होता है । | अर्थ के अनुसार यौगिक शब्दों का एक भेद योगरूढ़ि कहलाता है। जिससे कोई विशेष अर्थ पाया जाता है; जैसे, लंबोदर, गिरधारी, पंकज जलद । {पंकज' शब्द के खंडों ( पंक-+ज ) का अर्थ “कीचड़ से उत्पन्न है, पर उससे केवल कमल का विशेष अर्थ लिया जाता है । इसी प्रकार जलद” ( जल-+द ) का अर्थ बादल है । | २७६---एक ही भाषा में किसी शब्द से जो दूसरे शब्द बनते हैं, वे बहुधा ही तीन प्रकार से बनाए जाते हैं और किसी-किसी शब्द के साथ दूसरा शब्द मिलने से सामासिक शब्द तैयार होते हैं; जैसे, प्रबल, बलवान, बल-प्रयोग | निर्धन, धनी, धन-दौलत }