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१ १६६ } २७७-नीचे लिखी सकर्मक संयुक्त क्रियाएँ ( कर्तृवाक्य ) भूतकालिक कृदत से बने हुए काल में सदैव कर्तरि प्रयोग में आती हैं--- (१) आरंभ-चोधक-लड़का पढने लगा | लड़कियाँ काम करने लगीं । (३) अभ्यास-बोधक---यो बह दीन, दुःखिनी बाला रोया की दुःख में उस रात ! बारह बरस दिल्ली रहे, पर भीड़ ही झोका फिए । ६ क ) कि-बोधक-~~-लड़की काम न कर सकी; हम उसकी बात कठिनाई से समझ सके थे । | ( ५ ) पृता-बाधक-नौकर कोठा झाड़ चुका । स्त्री रसोई बना चुकी हैं। | (६) वे नाम बोधक क्रियाएँ जो देना या पड़ना के योग से बनती है; जैसे, चोर थोड़ी दूर पर दिखाई दिया ; वह शब्द ठीक-ठीक न सुनाई पड़ा । अभ्यास १-नीचे लिखे वाक्यों में संयुक्त क्रियाओं के भेद बतलाओ--- एक दिन श्री रसोई बना रही थी । विवाह के कुछ दिनों बाद, रात का देहांत हो गया। उनकी तोपें आग उगलने लगीं । उसने बोतल में लोहे का एक टुकड़ा डाल दिया । खटोला ऊपर चढ़ जाता है। हवा के बिना कोई नहीं जी सकता । कुछ दूरी पर एक पेड़ दिखाई दिया । लडका सवेरे घूमा करता है। तुम अपनी किताब क्यों खाये देते हो ? देव, सुझ-यूचकर हँसना, पीछे रोना न पड़े | मुझे समय नहीं मिलता इसलिए मैं आपसे नहीं मिलने पाता } महाराज, मैं आपके कह देने से धनुप उतारे लेता हूँ। | २---नीचे लिखी क्रिया का उपयोग एक-एक संयुक्त क्रिया के रूप में करो । दौड़ना, खींचना, चलना, बुलाना, भेजना, बैठना ।