पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१७२

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( १६२ ) ( ३ ) अवकाश घधिक क्रिया अर्थ में अनुमति बोथक क्रिया की विरोधिनी है; जैसे, तू यहाँ से जाने न पावेगा ।” बात न होने धाई।१ मै कठिनाई से लिखने पाया हूँ ।” ( अ ) कभी-कभी 4६पाना” क्रिया पूर्वकालिक कृदंत के साथ भी आती है; जैसे, कुछ लोगों ने श्रीमान् को बड़ी कठिनाई से देख पाया। समय न मिलने के कारण मै पूजा नहीं कर पाता हूँ ।” (२) बर्तमान कालिक कृदंत के मेल से बनी हुई ३६१-वर्तमान कालिद, कृदंत के आगे आना, जाना, अथवा रहना झोड़ने से नित्यता बाधक क्रिया बनती है; जैसे, यह बात सनातन से होती आती है। पेड़ बढ़ता जाता है। पानी बरसता रहता है ।। ( अ ) “रहना के सामान्य भविष्यत्काल से अँग्रेजी के पूर्ण भविष्यत्काल झा बोध होता है; जैसे हम उस समय लिखते रहेंगे । | ( ३ ) भूतकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई | २६२००अकर्मक क्रियाओं के भूतकालिक कृदंत के आगे जाता, क्रिया जोड़ने से तत्परता-बोधक संयुक्त क्रिया बनती है; जैसे, लड़का अाया जाता है । सिर फटा जाता था । लड़की गिरी जाती होगी । ३६३.भूतकालिक कृदंत के आगे करना जोड़कर अभ्यास- बोधक क्रिया बनाते हैं, जैसे वह पढ़ा करता हैं । चिट्ठी लिखा करूगा । सबेरे घूमा करो ।। | २६४-भूतकालिक कृदंत के साथ "चाहना क्रिया कोड़ने से इच्छा-बोधक क्रिया बनती है । जैसे, मै कुछ काम किया चाहता हूँ । तुम उनसे मिला चाहते हो । वे मुझे बुलाया चाहते हैं। ( अ ) इस क्रिया से भविष्यत्काल की निकटता भी सूचित होती है, जैसे गाड़ी आया चाहती है । घड़ी बजा चाहती है । फले गिरा चाहता है।