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कृदंत के दा विशेष अर्थ में कुछ सहायझ क्रियाएँ जोड़ने से जो क्रियाएँ बनते हैं उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं । २५७-5 के अनुसार संयुक्त क्रियाएँ आठ प्रकार की होती हैं- { १ ) क्रिया र्थक संज्ञा के मेल से बनी हुई; जैसे, जाना चाहिए । करना पड़ता है। ( २ ) वर्तमानकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई; जैसे, बढ़ता जाता है | करता रहता है। ( 3 ) तालिक कृदंत के मेल से बनी हुई; जैसे, पढ़ा करते हैं । चल जावेगा ।। ( ४ ) पूर्वकालिक कृदंत के मेल से बनी हुई; जैसे, तोड़ डालेगा । कर सकता है । (५) अपूर्ण क्रियाद्यातक कृदंत के मेल से बनी हुई; जैसे, चलते बनेगा। गते बनता है। { ६ } पर्ण क्रियाद्योतक कृदंत के मेल से बनी हुई; जैसे, . दिए देता ३। म दाता हैं। (७) संज्ञा या विशेपण के नल से बनी हुई; जैसे, दिखाई दिया । १५ करता हैं । (८) पुन संयुक्त क्रियाएँ; जैसे, समझते हैं। आया-जाया ३५८---मंयुक्त क्रिया में नीचे लिखी सहायक क्रियाएँ आती हैं- !ना, उठना, करना, चाहना, चुकना, जाना, देना, डालना,

, १,३१, बगना; रहना, लना, लेना, सकना, होना ।

५ ३४.! •नकना' और 'चुकन।' को छोड़कर • शेष क्रियाएँ ।

  • :: ३ र ४६ के अनुसार दुसरी सहायक क्रिया

६.•३६ बुन्६ क्रियाएँ भी हो सकती है; जैसे, स " 435,' ३' इस वाक्य में लगता है सहायक क्रिया है; पर वह जान,