पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१६७

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दू० ० ( १५७ ) • २-कहीं-कहीं दो अक्षरों के धातु में 'ऐ' या औ’ को छोड़ कर आदि का अन्य दीर्घ ह्रस्व होता है; जैसे---- मू० धा० प० प्रे० ओढ़ना उढ़ाना उढ़वाना जागना जगाना जावाला डूबना डुबाना डुबवाना बोलना बुलाना बुलवाना भीगना भिगाना भिगवाला लिटाना लिटवाना लेटना ( अ ) “डूबना” का रूप डुबोना” और भीगना” का रूप

  • भिगोना भी होता है।

( अ ) प्रेरणार्थक रूपों में बोलना” का अर्थ बदल जाता है । अ” अनुच्चरित रहता है; जैसे- म ० धा० चमकना पिघलना बदलन प० प्रे० चमकाना विचलाना बदलाना ३० प्र० चमकवाना पिघलवाना बदलवाना, ३-एकाक्षरी धातु के अंत में ला” और “लवा' लगाते हैं और दीर्घ को ह्वस्त्र कर देते हैं, जैसे---- खाना खिलाना । खिलवाना छूना छुलाना छुलवाना देना दिलान, दिलवान चुलाचा धुलवाना पीना पिलाला पिलवाना सीना सिलाना सिलवाना धोना