पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१६५

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"" " धुलवान धोना धुलाना गढ़ना गढ़ाना गढ़वाना | २५०--कई सकर्मक क्रियाओ से दो-दो प्रेरणार्थक रूप बनते हैं, | जो बहुधा अर्थ में समान होते हैं। ( अ ) कुछ एकाक्षरी धातुओं से केवल एक ही प्रेरणार्थक क्रिया | बनती है; जैसे, गाना गवाना, खेना-खेवाना, खोना-खोवाना, बोना बोआना, लेना-लिवाना । पिलाना पिलवाना खाना खिलाना खिलवाना देना दिलाना दिलवाना पढ़ना पढाना पढ़वाना सुनना सुनाना सुनवाला | २५१-कई एक सुकर्मक-क्रियाओं के दोनो प्रेरणार्थक रूप द्विकर्मक | होते हैं; जैसे, प्यासे को पानी पिलाओः भूखे को रोटी खिलवा, , वह लड़के को संस्कृत पढ़वाता है । पीना | २५२-कोई-कोई धातु स्वरूप में प्रेरणार्थक हैं, पर पदार्थ में वे मूल अकर्मक ( या सकर्मक ) हैं; जैसे कुम्हलाना, घबराना, मचलाना, इठलाना । ( अ ) कुछ प्रेरणार्थक धातुओ के मूल प्रचार में नहीं हैं; जैसे बताना ( या जतलाना ) फुसलाना, गवॉना ।। २५३-अकर्मक धातुओ से नीचे लिखे अनुसार सकर्मक धातु बनते हैं- १-धातु के आद्य स्वर को दीर्घ करने से; जैसे- पिसना=पिसाना कटना-काटना लुटना-लूटना दबना--दबाना