पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१६४

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( १५४ ) बौदहवाँ पाठ प्रेरणार्थक क्रियाएँ बाप लड़के से चिट्ठी लिखवाता है । प्रालिक ने नौकर से गाड़ी चलवाई। राजा पंडित से रामायण पढ़वाएँगे। २४----ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित क्रियाओं से उनके कर्चाओं पर दूसरे कर्ताओं की प्रेरणा समझी छाती है, इसलिए उन्हें प्रेरणार्थक क्रियाएँ कहते हैं । जो कच दूसरे पर प्रेरणा करता है उसे प्रेरक कर्ता और जिस पर प्रेरणा की जाती है उसे प्रेरित छत्त कहते हैं । ऊपर के , उदाहरणों में बाप, मालिक और राजा प्रेरक कक्ष तथा लड़का नौकर और पंडित प्रेरित की हैं । प्रेरित झत्त बहुधा करणकारक के रूप में आता है। रिना गिरानी गिरवाना। चलवाना उठाना उठवाना २४९---बहुधा अकर्मक से सकर्मक और सकर्मक से प्रेरणार्थक क्रिया बनती है; परंतु आना जाना, सुकना, होना, रुचना और पानी से दूसरे प्रकार की क्रियाएँ नहीं बनतीं । प्रेरणार्थक क्रियाएँ भी सकर्मक होती हैं। चले। चलान उन; देना । सीना दिलाना सिलाना दिलवाना सिलवाना