पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१६

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करना पड़ता है। इसी प्रकार 'ठ' के उच्चारण में दोनों ओठ मिलाकर खोलने पड़ते हैं। और फिर 'अ' का उच्चारण कर सॉस को नाक से निकालना पड़ता है। (कम) शब्द में दोनों का (उच्चारण करके देखो |) ८-इनके सिवा अनुस्वार () और विसर्ग ( ) नाम के दो व्यंजन और हैं जिनका उच्चारण क्रमशः अधे म् और आधे है के समान होता है और जो किसी भी स्वर के पीछे आते हैं; जैसे संसार और दुःख' में । ९--जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका से होता है तब उसके ऊपर अनुनासिक-चिह्न (°) लगाया जाता है, जिसे चंद्रबिंदु भी कहते हैं; जैसे, 'हँसना' और 'गॉव में । व्यंजनों मे ङ, अ, ण कभी शब्दों के आदि में नहीं आते । १०.--जब किसी व्यंजन में स्वर नहीं मिली रहता तब उस के नीचे एक तिरछी रेखा () कर देते हैं जिसे हल कहते हैं और वह व्यंजन हुलंत कहलाता है, जैसे पुनर् , उत् ।। ११---नीचे लिखे अक्षरो के दो-दो रूप पाए जाते हैं; जैसे, अ अ; झ, झ; पण, ए | किसी अक्षर के नाम के साथ कार' जोड़ देने से वहीं अक्षर समझा जाता है, जैसे, अकार, मकार=म । । | अभ्यास। १-नीचे लिखे शब्दों में स्वर और व्यंजन बताओ--- आग, नार, ईश,ऐन, औषध, कंस, छः, उदय, तत्पर, भंवर, ऊँट, ऑच । दूसरा पाठ स्वरों के भेद . १२-अ, इ, उ और ऋ ह्रस्व स्वर कहलाते हैं, क्योकि इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है। आ, ई और ऊ, को दीर्घ स्वर कहते हैं, क्योकि इनका उच्चारण करने में ह्रस्व स्वर से दूना समय लगता है और ह्रस्व स्वरो के मेल से बनते हैं, जैसे-