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( १४१ ) ( ख ) वर्धमानकालिक कृदंत से बने हुए काल (१) सामान्य संकेतार्थ काल वर्तमान कालिक कृदंत को कर्चा के लिंग-वचनानुसार बदलने से बनता है। इस काल में कोई सहायक | क्रिया नहीं आती; जैसे, मैं आता । हम आते । वे आतीं ।। ( २ ) सामान्य वर्तमान काल बनाने के लिए वर्तमान-कालिक कृदत के साथ स्थिति-दर्शक होना' सहायक क्रिया के सामान्य वर्तमान काल -' रूप जोड़ते हैं। जैसे मैं आता हूँ । हम आते हैं । वे आती हैं । ( ३ ) अपूर्ण भूतकाल वर्तमान कालिक कृदंत के आगे स्थिति-दर्शक सहायक क्रिया के सामान्य भूतकाल के रूप जोड़ने से बनता है, जैसे, मै आता था | हम आते थे । वे आती थीं । (४) संभाव्य वर्तमान बनाने के लिये वर्तमान कालिक कृदंत में - विकार-दर्शक होना” सहायक क्रिया संभाव्य भविष्यकाल के रूप जोड़ते हैं; जैसे, मैं आता होऊ । हम आते हो। वे आती हों। • (५) सदिग्ध वर्त्तमान काल वतमानकालिक कृदंत के आगे विकारदर्शक सहायक क्रिया सामान्य भविष्यकाल के रूप जोड़ने से बनता है; जैसे मैं आता होऊगा । हम आते होंगे । वे आती होगी । (६) अपूर्ण संकेतार्थ काल बनाने के लिये वर्तमान कालिक कृदंत के साथ विकार-दर्शक सहायक क्रिया के सामान्य संकेतार्थ काल के रूप जोड़ते हैं; जैसे, मैं आता होता । हम आते होते । वे आती होतीं । (अ) इस काल में होना क्रिया की काल-रचना नहीं होती, क्योकि उससे क्रिया की पुनरुक्ति होती है । ( ग ) भूतकालिक कृदंत से बने हुए काल । इन कालो में अकर्मक क्रियाएँ बहुधा कर्तरि-प्रयोग में और सकर्मक बहुधा कर्मणि वा भावे प्रयोग में आती हैं। यहाँ अकर्मक क्रिया के उदाहरण दिए जाते हैं---- (१) सामान्य भूतकाल भूतकालिक कृदंत में कक्ष के लिंग-वचना नुसार रूपांतर करने से बनता है, जैसे, मै अया । हम आए। वे आई।