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जोड़ते हैं; जैसे; आइए बैठिए। यह आदर के लिये “इएगा’’ जोड़ते हैं; जैसे, आइएगा, बैठिएगा । यह आदर-सूचक रूप कभी-कभी सामान्य भविष्यत् काल में भी आता है; जैसे, आप कब आइएगा ? (= वेगे यदि आप उनसे मिलिएगा(= मिलेंगे) तो वे आप को उपाय बतावेगे । | ( अ ) नीचे लिखे क्रियाओं के आदर • सूचक विधिकाल मे “ज का आगमन होता है; जैसे, लेना--लीजिए देना-दीजिए करना=कीजिए होना-हूजिए: पीना-पीजिए । कविता में ये रूप क्रमशः लीजे, कीजे, दूजे और पीजे हो जाते हैं । (ई) "चाहिए क्रिया रूप में चाइना' क्रिया का आदर-सूचक प्रत्यक्ष विधिकाल है, पर इससे वर्तमान की आवश्यकता को बोध होता है; जैसे, मुझे पुस्तक चाहिए ( आवश्यकता है }। उसे जाना चाहिए । (४) परोक्ष विधिकाल के दो रूप हैं--( क ) क्रियार्थक संज्ञा ही इस काल में आती है ( ख ) आदर-सूचक विधि के अत में ए’ के बदले ग्यो' करते हैं। उदा०-वहाँ मत जाइयो । किसी से बात मत कीजियो ।

परोक्ष विधि केवल मध्यम पुरुष में आती है । आदर-सूचक प्रत्यक्ष

विधि का गीत रूप परोक्ष विधि में भी आता है; जैसे, आप वहाँ न जाइएगा । किसो के सामने बात मत कीजिएगा । २४२–संयुक्त कालों की रचना में होना” सहायक क्रिया के जिन कालों का उपयोग किया जाता है वे यहाँ लिखे जाते हैं--- होना ( स्थिति-दर्शक ) { कर्तरि-प्रयोग ) १- सामान्य वर्तमान काल “क-पुल्लिग वा स्त्रीलिंग । पुरुष । एकवचन । बहुवचन उत्तम हम हैं।