पृष्ठ:संक्षिप्त हिंदी व्याकरण.pdf/१४७

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( १३७ ) छीनने का--क्रियार्थक संज्ञा, सकर्मक, कतृवाच्य, संबंध कारक, - संबंधी शब्द 'साहस', इसका कर्म राज्य” । । । | होगा -क्रिया, अकर्मक, कतृवाच्य, निश्चयार्थ, सामान्य भविष्यत् काल, 'अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन, इसका कत *साहस' कर्तरि- प्रयोग | अभ्यास । २-पिछले अभ्यास में आई हुई क्रियाओ और कृदंत की पूर्ण • व्याख्या करो । । तेरहवाँ पाठ क्रिया को काल-इन्चना , २३७-क्रिया के वाच्य, अर्थ, काल, पुरुष, लिग और वचन के कारण होनेवाले रू के संग्रह को काल-रचना के हते हैं । २३८--हिंदी के सोलह ( १६ ) काल क्रिया के मुख्य तीन रूप से | बनते हैं। जैसे, ।( क ) धातु से--( १ ) संभाव्य भविष्यत् (२) सामान्य भविष्यत् '( ३ ) प्रत्यक्ष विधि (४) परोक्ष विधि । ( चार काल ) । (ख) वर्त्तमानकालिक कृदंत से ( १ ) सामान्य संकेतार्थ १ ३ } । सामान्य वर्तमान ( ३ ) अपूर्ण भूत (४) संभाव्य वर्त्तमान (५) संदिग्ध वर्तमान (६ ) अपूर्ण संकेतार्थं । ( छः काल ) । (ग) भूतकालिक कृदंत से—(१) सामान्य भूत ( २ ) आसन्न | भूत (पूर्ण वर्तमान ) ( ३ ) पूर्ण भून (४) संभाव्य भूत (५) संदिग्ध भूत (६ ) पूर्ण संकेतार्थ । ( छः काल )। " २३६---जो काल केवल प्रत्यय जोड़ने से बनते हैं वे साधारण काल और दूसरी क्रिया की सहायता से बनाए जाते हैं वे संयुक्त काल ' कहाते हैं। - १०